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अन्याय
सुनयना अपने भाग्य पर फूली नहीं समाती थी। आखिर तीन भाईयों की इकलौती बहन जो थी। लार- प्यार से बचपन बित। रहा था।पर काल के ग्रास के चपेट में कौन कब आ जाए कोई कह नहीं सकता। अचानक तेज बुखार में दिये गये इंजेक्शन के प्रभाव से उसकी आंखों की रौशनी चली गई।
समय बीतता गया। भाईयों को अपना अपना संसार बसाने की चिंता थी। पर सुनयना के लिए रिश्ता देखा जा रहा था। आखिर काफी प्रयास के बाद भी कुछ हाथ नहीं लगा। इसी चिंता को लेकर पिता का स्वर्गवास हो गया।
मां देविका घर की परिस्थिति को भांपते हुए सम्पत्ति के बंटवारा का निर्णय लिया। उन्होंने बेटी सुनयना के नाम आधा एवं बाकी भाईयों में बांट दिए। न चाहते हुए भी भाईयों को फैसले का समर्थन करना पड़ा।
मां काली कुछ दिनों बाद हृदयाघात से मृत्यु हो जाती है।
अब सुनयना को लेकर भाईयों में आपस में तनातनी शुरू हो जाती है। तय यह होता है कि जो अपने घर में सुनयना को रखेगा सम्पत्ति का हकदार वहीं होगा। मंझला भाई उससे सहमत होकर बहन को अपने घर ले आए। अब शुरू होता है जुल्म का सिलसिला। सुनयना को इतना जिल्लत भरी जिंदगी गुजारने पड़ेगा वह सप्ने में भी नहीं सोची थी। जानवरों से भी बदतर जिंदगी जीकर एक दिन वह जीवन से हाथ धो देती है। पर गुनाह का नशा एक बार लग जाए तो नहीं छूटता। अब भाई उसे जिंदा करार देकर सरकार से प्राप्त तमाम सुविधाएं देने में भी पीछे नहीं था। अब लोगों को जब यह सहनशक्ति से बाहर हो गया तो रिपोर्ट दर्ज किया गया। सारी कच्चा चिट्ठा बाहर आया।
आज भाई जेल का हवा खा रहा है। पर बात उस समाज की जहां एक नारी पर हो रहे अत्याचार का सबने आंख मुंदकर देख रहा था।