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जंगल
#जंगल
मैंने कहा था स्पेयर टायर चेक करवा लेना निकलने से पहले, लेकिन तुम को तो बस हर बात मज़ाक लगती है। सुदीप ने गुस्से में झुंझलाते हुए रवि से कहा। उफ्फ नेटवर्क भी नहीं है मोबाइल में और इस घने जंगल में कोई दिख भी नहीं रहा इतना कहते-कहते रवि गाड़ी की डिक्की की तरफ आ गया।
सुदीप ने रवि से गुस्से में कहा कि अब इस डिक्की से क्या मिलने वाला है। सुदीप की बात सुनते सुनते डिक्की खोली और सुदीप से कहने लगा अगर हमने टायर चेक नहीं करवाया तो यह भी तो जरूरी नहीं कि हमारी स्टेफनी खराब ही होगी। रवि ने स्टैफनी से खबर हटाया और देखा की स्टेफनी में ठीक-ठाक हवा भरी है रवि खुद भी हैरान था की करीब 3 महीने से मैंने स्टेफनी चेक भी नहीं की लेकिन इसमें हवा जैसे की तैसी है। सुदीप भी मन ही मन सोच रहा था कि फिजूल में मैंने रवि को अनाप-शनाप बोल दिया। अब दोनों के चेहरे की रौनक और खुशी देखने वाली थी कि जो डर से चेहरे पर मायूसी आ गई थी उसका उपाय मिल गया। सुदीप और रवि दोनों गाड़ी का टायर बदलने में लग गए। और अपना काम जल्दी से निपटा कर घर वापसी कर ली। रवि ने शाम को सुदीप के संग डाइनिंग टेबल पर अपनी पत्नी और छोटे भाई मनीष को यह सारा वाक्य सुनाया। टायर कंपनी की तारीफ करने से रुक ही नहीं रहा था कि 3 महीने बाद भी इस कंपनी के टायर में हवा जैसे कि तैसे है। इतने में रवि के छोटे भाई मनीष ने रवि को याद दिलाया की 4 दिन पहले ही मैं गाड़ी आईटी पार्क लेकर गया था उस दिन मैंने फ्यूल स्टेशन पर पेट्रोल फील कराने के बाद सारी गाड़ी के टायरों में हवा चेक करवाई थी और डिक्की वाले टायर में भी फील करवा दी थी। अब रवि और सुदीप छोटे भाई मनीष का शुक्रिया अदा करते नहीं थक रहे थे।
© Dharminder Dhiman