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एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में है।।
तथा उसे यह कहा कि सब जीवों के जीव में तूं ही
व्यापक अंब इसलिए अब ना करहु माता विलम्बा:।। इस लिए यह गाथा अनन्त व असंभव
प्रेम गाथा के रूपांतरण में ही चित्रांक में बदले हुए विषय के साथ वापस लौट आई है।। जो स्वयं परमात्मा के रूपांतरण में आत्मा अपने अस्तित्व की आसीमता प्रदान कर उसके नारित्व तथा स्त्रीत्व को सभी त्री शक्ति की त्रृष्टि से बचाएगा जिसमें उसके नारित्व से उसका स्त्रीत्व त्री शक्ति के नेतृत्व के द्वारा सुरक्षित होकर असतिव की आसीमता नारित्व से उत्पन्न स्त्रीत्व की आसीमता असतिव की आसीमता व उल्लेख के लिए अत्याधिक महत्वाकांक्षी हैं।।
जिसमें अस्तित्व की निर्माण के लिए हमें उस परमात्मिका के लिए नारित्व व स्त्रीत्व का त्री शक्ति परिर्माण चाहिए जो अस्तित्व कलि के भांति कलियौता हवस का लोभ जागृति करें
जो इच्छा व स्वार्थ के चलते वासना एक मुख प्रेम श्रोत दोनों पक्षों के लिए एक दूसरे के लिए शून्य कर गाथा का सारांश व अन्य विषय की मनु स्तुति दर्शाए और इस गाथा तथा नायक व नायिका की प्रशंसा करें।।