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शिक्षका बनने कि कहानी
ऐसे कई सपने देखे हैं अपने लिए और सभी के लिए
पर जब मां ने कहा कि मेरी बेटी को शिक्षका बनते देखने का मेरा सपना है उस समय छूटी सी आयु थी मेरी पर मां ने कहा वह तब ही सोच ली पूरा करूगी।।
चाहें पत्थर जैसे राह हों या हर मुस्किल पार करनी हो
पर जैसे सोच वादा कर खुद से
इतना आसान नहीं था पर नामुमकिन भी नहीं था
पढ़ाई लिखाई करती गई १०वी पास कि अब थोडा सा करवा है पर हमारे समाज से पहले घर में दो तरफा सा माहौल हो एक ने कहा पढ़ूगी आगे और दूसरे ने हो गया अब घर का काम काज करेंगी कुछ दिनों में शादी हो जायेगी तो क्या करेंगी पढ़ लिख।
नाम लिखने आता हैं वहीं बड़ी बात है
पर पूछ कि पढ़ना हैं पढ़ूंगी अच्छे से तुम जानो।
मैं ने हा कह दी और कोई रास्ता नहीं था
दिल लगा पढाई भी और घर का काम भी।
कई मुस्किले आई पढ़ने के लिए घर में बिजली नहीं था
पैसे कम और घर में सभी आपस मैं बनती नहीं रोज किसी ना किसी...