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हमारी ज़िन्दगी में कुछ ऐसा नहीं होता जैसा हम चाहते हैं...
फिल्मों जैसा हमारी ज़िन्दगी में कुछ भी नहीं होता
ना वो ख्वाहिशे पूरी होती हैं ना ही वो मोहब्बत
वो सच ना होकर भी हसीन फ़िल्म लगती हैं मगर
असली ज़िन्दगी में हर ख़ुशी भी असली नहीं लगती।
वो पैसों के लिए अपने किरदार शिद्दत से निभाते हैं
लेकिन ज़िन्दगी में इंसान अपना किरदार ही नहीं निभाता।
हर रिश्ता झूठ बोल कर खुद को सच साबित करने में निकाल देता हैं। मोहब्बत होती क्या हैं? ये इंसान जानता ही नहीं क्योंकी उसे सिर्फ अपना मतलब अपनी जरूरतें और अपनी खुशियाँ दिखती हैं। खुद की तकलीफ में बोखला जाता हैं लेकिन दूसरे की तकलीफ उसे मज़ाक लगती हैं। अगर रिश्तों को दोनों तरफ से वफादारी से निभाया जाये तो वो ख़ुशी देता हैं लेकिन एक की बेवफाई से ज़िन्दगी को तबाह कर देता हैं।
इसलिए जिसे जो करना हैं करने दो उसकी ज़िन्दगी हैं वो खुद समझेगा। हमें खुद के कर्मो को देखकर चलना हैं और परमात्मा में खो जाना हैं। उसकी ये साँसे हैं वो ज़ब चाहे ले सकता हैं। गम नहीं......
© Niharik@ ki kalam se✍️