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कितना सब्र ऐ इम्तिहान हूँ....
कितना सब्र ऐ इम्तिहान दूँ - ऐ ज़िन्दगी.....
कभी सोचा नहीं की मुझे भी मोहब्बत होगी और जब हों गयी तब इतने सवालों के बीच खड़ी हूँ। मैंने किसी को बुरा नहीं कहा ना ही किसी से शिकायत हैं। फिर क्यों इतने सवाल सुनने पड़ रहे हैं।
जिन्हें याद करके मेरा दिन बीतता हैं जिन्हें हर घड़ी दिल सोचता हैं उनके बिना कैसे जीयो। मोहब्बत की हैं तो उन्हें पाना भी चाहती हूँ लेकिन एक ही सवाल हर बार पूछते हैं सब मुझसे... तुम्हारा रिश्ता क्या हैं उस शख्स से? वो और तुम्हारा रिश्ता शादी से पहले कुछ नहीं। शादी ना हुई तो भी जीना पड़ेगा तुम्हें? ऐसे सवाल मेरे दिल को बेचैन कर देते हैं क्या गलती की हैं मेरे मोहब्बत करके। क्या किसी को चाहना गलत हैं। मेरे लिए इन सवालों का जवाब सिर्फ वो हैं जिन्हें मैंने अपना सब कुछ मान लिया। उनसे ही मेरी ज़िन्दगी में ख़ुशी हैं उनके साथ होने से जीने की चाहत हैं। वो हैं तो मैं हूँ वो मेरे सब कुछ हैं। लेकिन ये सब मेरी ख़ामोशी ही जानती हैं की वो जल्दी ही आएंगे और मेरा इंतजार खत्म करके मुझे अपने संग ले जायेंगे। मेरे मालिक अगर तू उन्हें मेरी ज़िन्दगी में लाया हैं तो तू ही हमें मिलाएगा और मेरी ज़िन्दगी को उनके साथ जीने का हर ख़्वाब पूरा करेगा।
© Niharik@ ki kalam se✍️