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#गुरूपूर्णिमा
आज का दिन गुरू को समर्पित है । दूनियाभर में आज आषाढ़ की पूर्णमासी के दिन गुरू मार्गदर्शक शुभेच्छक का एहसान अभिव्यक्त किया जाता है...
वसुदेव सूतं देवं कंस चाणूरमर्दनम् ।
देवकी परमानंदं कृष्णं वन्दे जगत्गुरूम् ।।
भारतीय संस्कृति में गुरू मां बाप और भगवान के समकक्ष दर्जा दिया गया है ।जो सही है । क्यों कि हर हंमेश गुरू के ह्रदय में शिष्य के प्रति कोमल और कल्याण भाव प्रकट रहता है ।
यह एहसानभाव प्रकट करने का दिन विशेष है यह ।वास्तव में देखा जाय तो गुरू से उरूण होने का मौका है ।गुरू के प्रति श्रद्धा प्रेम आकांक्षा अपनापन विश्वास ही नहीं बल्कि अपने समूचे अस्तित्व को गुरू को सौंपने का यह दिन है ।
गुरू के अंतर के आशिष मानव को जीवन जीने की उर्जा प्रदान करती है । असंभव से असंभव काम भी गरू कृपा से संभव बन जाती है इसलिये तो कहा जाता है कि ...गुरू कृपा हि केवलम् ।।
गुरू सही राह दिखाते हैं जैसे मां कभी बूरा नहीं चाहती बल्कि कल्याणकारी भावनाएँ प्रकट करती है । बस ! वैसे ही गुरू स्वयं रण हो प्राणसंकट की घडी हो साक्षात् कृष्ण बनकर अर्जुन की भांति डटकर संकट का नाश कर देते हैं ।
गुरु कभी लघु नहीं होता ना ही मानसिक सोच से और ना हि ह्रदय की संकुचितता से !!
जगत् कल्याण में मस्त गुरूओं को सादर प्रणाम ।🙏🙏
© Bharat Tadvi