गुस्ताख़ दिल (part 5)
स्कूल का माहौल अब सुकून और मस्ती भरा हो गया था। देखते ही देखते हमारे 1st सेमेस्टर की परीक्षा भी हो चुकी थी। उम्मीद अनुसार मैं पास हो गई थी और शिल्पी प्रथम आई थी और प्रशांत द्वितीय स्थान पर। हम सभी में अब तक बहुत अच्छी मित्रता हो चुकी थी इतनी कि एक दूसरे के घर में हमारा आना जाना शुरू हो गया था। वहीं गली में भी खिंची हुई वो लकीर हमने मिटवा दी थी यानी गली में भी सब एक होकर खेला करते थे। कल ही हम अपने मामा के यहांँ से लौटे थे और मांँ अभी तक हम सब से नाराज़ थी। ये नाराज़गी मामा के यहांँ से जल्दी आने की नहीं थी।। दरअसल हुआ यूंँ था कि कुछ दिन पहले मामा की बेटी की शादी में लड्डू से सबके सामने पूछा गया कि 11वी में...