जिंदगी के पन्ने
कुछ पिछले जिंदगी के पन्नों को खोल कर देखा तो
मै फिर से उस पल में खो सा गया।
देखा तो थोड़ा रों सा गया
जज्बातों काबू ना कर सका
उस पल को महसूस करता गया
थोड़ा सा सूख था बस उस दुख के आगे
जिससे मूह छुपाकर भाग रहा था
हर एक चीज हासिल करना चाहता था।
पर हर एक सपने अधूरे से रह गए
कल यह सोच कर उठता था
कुछ करूंगा हासिल में मेरे नसीब से
पर पैसो से मार खा जाता था
पर फिर भी में हार ना मानता था।
© Yeh.dil.hai.shayarana
मै फिर से उस पल में खो सा गया।
देखा तो थोड़ा रों सा गया
जज्बातों काबू ना कर सका
उस पल को महसूस करता गया
थोड़ा सा सूख था बस उस दुख के आगे
जिससे मूह छुपाकर भाग रहा था
हर एक चीज हासिल करना चाहता था।
पर हर एक सपने अधूरे से रह गए
कल यह सोच कर उठता था
कुछ करूंगा हासिल में मेरे नसीब से
पर पैसो से मार खा जाता था
पर फिर भी में हार ना मानता था।
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