होशियारी
एक बार एक व्यक्ति जंगल से गुजर रहा था
उसने देखा एक आदमी सियार के दोनों कान
पकड़े हुए था और हवा में नोट उड़ रहे थे।
उसे माजरा कुछ समझ में नहीं आया उसने उस आदमी से पूछा।उस आदमी ने कहा भाई
ये सियार बड़ा करामाती है इसके जितना कान उमेठो उतने ही रूपये निकलते हैं।देखो
हवा में जितने नोट उड़ रहे हैं सब मेरे हो गए।
वह व्यक्ति लालच में आ गया और उसने कहा
भाई मुझे भी कुछ रूपये पा लेने दो।दूसरा
आदमी बोला ठीक है कहकर उसे सियार के
दोनों कान पकड़ा दिए और बिखरे नोट उठाकर चलता बना।
उसने देखा एक आदमी सियार के दोनों कान
पकड़े हुए था और हवा में नोट उड़ रहे थे।
उसे माजरा कुछ समझ में नहीं आया उसने उस आदमी से पूछा।उस आदमी ने कहा भाई
ये सियार बड़ा करामाती है इसके जितना कान उमेठो उतने ही रूपये निकलते हैं।देखो
हवा में जितने नोट उड़ रहे हैं सब मेरे हो गए।
वह व्यक्ति लालच में आ गया और उसने कहा
भाई मुझे भी कुछ रूपये पा लेने दो।दूसरा
आदमी बोला ठीक है कहकर उसे सियार के
दोनों कान पकड़ा दिए और बिखरे नोट उठाकर चलता बना।