उसके शहर में जब आया तो वहा की हवाओ ने ,उन हसीन यादों का एक शीतल आभास करवाया!!
चार साल बाद जब मैं उस धरती पर गया
जहा वो रहती है ,,
स्टेशन पर कदम रखते ही ,,
उन हवाओ ने उसके होने का एहसास करवाया,,,!!!!!!
मानो मुझे खीच रही हो ,,अपनी ओर ,,
उन बीतें पलों में ,,
सन् सन् करती वो हवाएं,, मेरे गालों को छू रही थीं,मानो उसके हाथ मेरे गाल को छू रहे हो ,,!!
मैं थम सा गया उस पल ,, और ऐसा मुझे एहसास हुआ की इन गलियों से उसका नाता है ,,....
इन सड़कों से उसका नाता हैं,,
यहां की हवाओ से , यहां के पेड़ो से ,,
यहां की सड़कों से और यहां की सुंदरता सा,,
मेरे मन ने चाहा उन सभी चीजों के द्वारा
उसको अनुभव करना ,,उसके एहसास को अनुभव करना,,.....
दिल को लगा जैसे अभी वो इसी सड़क से ,,
सुंदर मुस्कान भर्ती हुई आएगी और मुझे गले लगा लेगी ,.......
मैं उस पल थम सा गया ,वही पुराना चेहरा
सिर्फ एक शहर के माध्यम से मेरे मन का मुख्य आकर्षक बिंदु बन गया ,,
मैं चाहूं तो भी उससे मिल नही सकता,,
किस्मत ने मेरी जिंदगी का सफर ही ऐसा बना दिया है ,, .....
तलब उसे देखने की थी ,, उन मुस्कराहट भरी अदा को निहारने की थी ,,....
उसकी आंखो से बात करनी की चाहत, थी एक ,,..
मैने अपना काम खत्म किया और रवाना हुआ अब अपने शहर के लिए ,....
मैं उससे मिला भी नही ,...
लेकिन जाते वक्त ऐसा एहसास हुआ
मानो वो मुझे Bye बोल रही हो ,,
ऐसा लग रहा था जैसे मैं उससे फिर अलग हो रहा हु ,, और अपनी उस यादों को अलविदा कह रहा हु ,,जो मैं कभी कहना नही चाहता था ....
जैसे जैसे मैं स्टेशन की ओर बढ़ रहा था,,
उसकी यादें मुझे,इस शहर की ओर खींचती चली जा रही थी,,
जैसे जैसे गली और रास्ते पीछे जा रहे थे ,
हमारी यादों की कहानी मैरी आंखो के सामने रिवाइन होने लगी थीं,....
ऐसा लग रहा था मानो अपनी सबसे कीमती चीज को अपने प्रेम को आज उसके कर्त्तव्य पथ पर मैं उसके जीवन को देखा रहा हु ,,
और उससे दूर जाने से दर रहा हु ,,
जैसे ही स्टेशन आया ,,मेरे दिल से एक आवाज आई
Bye Bye XYZ ,!! अपना खयाल रखना ,,
और उन हवाओ में मुझे उसकी झलक दिखी,,
सुंदर ,कोमल ,और प्रेम से भरी ,एक मुस्कान वो मुझे हाथ हिलाकर Bye Bye के रही थी ,..
मैने भी दिल कठोर करके उस छवि को अलविदा कहा,...और अपनी ट्रेन पकड़ी
मेरा हृदय अभी भी व्याकुल हैं,,और चेहरे पर एक संतुष भरी मुस्कान है और आंखो में उससे फिर दूर जाने के आसूं.......
© Mayank Kumar Kasaudhan
जहा वो रहती है ,,
स्टेशन पर कदम रखते ही ,,
उन हवाओ ने उसके होने का एहसास करवाया,,,!!!!!!
मानो मुझे खीच रही हो ,,अपनी ओर ,,
उन बीतें पलों में ,,
सन् सन् करती वो हवाएं,, मेरे गालों को छू रही थीं,मानो उसके हाथ मेरे गाल को छू रहे हो ,,!!
मैं थम सा गया उस पल ,, और ऐसा मुझे एहसास हुआ की इन गलियों से उसका नाता है ,,....
इन सड़कों से उसका नाता हैं,,
यहां की हवाओ से , यहां के पेड़ो से ,,
यहां की सड़कों से और यहां की सुंदरता सा,,
मेरे मन ने चाहा उन सभी चीजों के द्वारा
उसको अनुभव करना ,,उसके एहसास को अनुभव करना,,.....
दिल को लगा जैसे अभी वो इसी सड़क से ,,
सुंदर मुस्कान भर्ती हुई आएगी और मुझे गले लगा लेगी ,.......
मैं उस पल थम सा गया ,वही पुराना चेहरा
सिर्फ एक शहर के माध्यम से मेरे मन का मुख्य आकर्षक बिंदु बन गया ,,
मैं चाहूं तो भी उससे मिल नही सकता,,
किस्मत ने मेरी जिंदगी का सफर ही ऐसा बना दिया है ,, .....
तलब उसे देखने की थी ,, उन मुस्कराहट भरी अदा को निहारने की थी ,,....
उसकी आंखो से बात करनी की चाहत, थी एक ,,..
मैने अपना काम खत्म किया और रवाना हुआ अब अपने शहर के लिए ,....
मैं उससे मिला भी नही ,...
लेकिन जाते वक्त ऐसा एहसास हुआ
मानो वो मुझे Bye बोल रही हो ,,
ऐसा लग रहा था जैसे मैं उससे फिर अलग हो रहा हु ,, और अपनी उस यादों को अलविदा कह रहा हु ,,जो मैं कभी कहना नही चाहता था ....
जैसे जैसे मैं स्टेशन की ओर बढ़ रहा था,,
उसकी यादें मुझे,इस शहर की ओर खींचती चली जा रही थी,,
जैसे जैसे गली और रास्ते पीछे जा रहे थे ,
हमारी यादों की कहानी मैरी आंखो के सामने रिवाइन होने लगी थीं,....
ऐसा लग रहा था मानो अपनी सबसे कीमती चीज को अपने प्रेम को आज उसके कर्त्तव्य पथ पर मैं उसके जीवन को देखा रहा हु ,,
और उससे दूर जाने से दर रहा हु ,,
जैसे ही स्टेशन आया ,,मेरे दिल से एक आवाज आई
Bye Bye XYZ ,!! अपना खयाल रखना ,,
और उन हवाओ में मुझे उसकी झलक दिखी,,
सुंदर ,कोमल ,और प्रेम से भरी ,एक मुस्कान वो मुझे हाथ हिलाकर Bye Bye के रही थी ,..
मैने भी दिल कठोर करके उस छवि को अलविदा कहा,...और अपनी ट्रेन पकड़ी
मेरा हृदय अभी भी व्याकुल हैं,,और चेहरे पर एक संतुष भरी मुस्कान है और आंखो में उससे फिर दूर जाने के आसूं.......
© Mayank Kumar Kasaudhan