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यादश Part - 2
शहबाज को तब एहसास हुआ की याददाश्त भी चली जाए चाहे इंसान की। लेकिन इंसान उसे शख्स को कभी नहीं भूलता जिससे वह प्यार करता है। वह भी कितना पागल था जो यह समझ ही नहीं पाया की जो इंसान याददाश्त जाने पर भी तुम्हें भूल नहीं पाया। वह इंसान तुम्हें इतनी आसानी से कैसे भूल सकता है।
सहबाज को अपनी मोहब्बत का एहसास हो चुका था। और अब उसने यह निश्चय कर लिया कि वह अब जल्दी से जल्दी अपनी प्रेमिका के पास चला जाएगा। यह वह पल था जब वह दोनों आखिरकार मिलने वाले थे।
लेकिन फिर भी वह कभी नहीं मिल सकते थे। क्योंकि ना ही तो सहवाज की प्रेमिका की यादाश्त गई थी और ना ही सहबाज ने उसके पास आने का निश्चय किया था।
दोस्तों यह सब जो भी घटना हुई थी यह घटना सिर्फ उस प्रेमिका के दिमाग में थी। जो शहबाज से बहुत प्रेम किया करती थी।वह हमेशा यह सोचती रहती थी कि कोई भी ऐसी घटना हो जाए जिसके बाद शहबाज उसे अपना ले।
उसके प्रेमी शाहबाज ने, अपने घरवालों के कहने पर रोका कर लिया था किसी लड़की के साथ।और इसके बाद से प्रेमिका हमेशा यही सोचती रहती थी कि भगवान बस कुछ ऐसा हो जाए की उसका प्रेमी उसे फिर से वापस मिल जाए।
लेकिन उसका प्रेमी किसी भी हालत में उसे अपनाने को अब तैयार नहीं है। क्योंकि उसका यह कहना है कि इस तरह से हमारे पारिवारिक संबंध खत्म हो जाएंगे। और हम पूरी दुनिया में अकेले पड़ जाएंगे। वह अपने माता-पिता को परेशान नहीं करना चाहता।
लेकिन अभी भी सहबाज की प्रेमिका के दिल में यह सवाल उठता है कि उसका प्रेमी अपने परिवार को परेशान नहीं करना चाहता है लेकिन क्या उसकी प्रेमिका उसके परिवार का हिस्सा नहीं थी?
वह उसे परेशान और दुखी कैसे कर सकता है?.
......?????

© jyoti