शादी समझौता या जन्मों का बंधन
बदलते परिवेश के साथ लोगों की सोच में भी आज कितना बदलाव आ गया है। कल तक शादी को हम पवित्र रिश्ता मानते थे और सात फेरों को जन्म जन्मांतर का साथ। मगर आज बदल चुके हैं हालात अब यह रिश्ता तो बस नाम के लिए रह गया है और पति पत्नी का साथ समझौता का रुप ले लिया है। हालात ऐसे हैं कि कोई भी
सुनने समझने के लिए तैयार नहीं है। अभी कल की ही बात बताती हूं मैंने एक न्यूज़पेपर में पढ़ा था।पत्नी ने पति का साथ केवल इसलिए छोड़ दिया क्योंकि उसकी सास भी उसके साथ रहने के लिए आ गई थी। जो पत्नी को बिल्कुल भी पसंद नहीं थी। इसी बात को लेकर घर में अक्सर कलह हुआ करते थे। पति का कहना था कि मां अकेली गांव में क्यों रहेगी..?? उनकी तबीयत भी ठीक नहीं रहती है और अब तो पिताजी भी नहीं रहे। कुछ ऊंच नीच हो गया तो गांव वाले हमारे समाज वाले क्या सोचेंगे। अपना पेट काट काट...
सुनने समझने के लिए तैयार नहीं है। अभी कल की ही बात बताती हूं मैंने एक न्यूज़पेपर में पढ़ा था।पत्नी ने पति का साथ केवल इसलिए छोड़ दिया क्योंकि उसकी सास भी उसके साथ रहने के लिए आ गई थी। जो पत्नी को बिल्कुल भी पसंद नहीं थी। इसी बात को लेकर घर में अक्सर कलह हुआ करते थे। पति का कहना था कि मां अकेली गांव में क्यों रहेगी..?? उनकी तबीयत भी ठीक नहीं रहती है और अब तो पिताजी भी नहीं रहे। कुछ ऊंच नीच हो गया तो गांव वाले हमारे समाज वाले क्या सोचेंगे। अपना पेट काट काट...