बैसाखी
"बैसाखी" एक ऐसा दिवस जिसे हम हर वर्ष मनाते हैं। पर "बैसाखी" का वास्तविक स्वरूप क्या है,ये हम कभी जानने का प्रयास ही नहीं करते।
तो आइए जानने का प्रयत्न करें।
आपने अकसर देखा होगा जो लोग प्राकृतिक रूप से अक्षम होते हैं अर्थात विक्लांग अथवा अपंग होते,वो उस अपंगता को दूर करने हेतु वो सहारा लेते एक ऐसे साधन का जिसके आधार पर वो चल सकें,और उसे वो "बैसाखी" कहकर सम्बोधित करते हैं।
अर्थात
यहाँ से ये स्पष्ट हो रहा है-
ऐसी परिस्थिति जब कोई साथ नहीं आता,उस समय सहारा देकर हमें चलाने वाली कहलाती है "बैसाखी"।
दूसरे शब्दों में "बैसाखी" शब्द ही अपना प्रमाण दे रहा है:-
*सबके बैरी होने पर भी जो आपकी साख बचाने हेतु,आपकी...
तो आइए जानने का प्रयत्न करें।
आपने अकसर देखा होगा जो लोग प्राकृतिक रूप से अक्षम होते हैं अर्थात विक्लांग अथवा अपंग होते,वो उस अपंगता को दूर करने हेतु वो सहारा लेते एक ऐसे साधन का जिसके आधार पर वो चल सकें,और उसे वो "बैसाखी" कहकर सम्बोधित करते हैं।
अर्थात
यहाँ से ये स्पष्ट हो रहा है-
ऐसी परिस्थिति जब कोई साथ नहीं आता,उस समय सहारा देकर हमें चलाने वाली कहलाती है "बैसाखी"।
दूसरे शब्दों में "बैसाखी" शब्द ही अपना प्रमाण दे रहा है:-
*सबके बैरी होने पर भी जो आपकी साख बचाने हेतु,आपकी...