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पण्डिताइन क्यो पूज्य हैं हमारे लिए
दोस्तों,,
पण्डिताइन जी के लिए हमारे मन मे इतना प्रेम क्यो है हम उन्हें इतना क्यों पूजते रहते है यह प्रश्न आप सभी को अवश्य व्याकुल करता होगा। लेकिन पण्डिताइन और हम केवल शरीर से दो है मगर दिल और रूह से एक ही है। पण्डिताइन सिर्फ अर्धांगिनी नही हमारे जीवन की महारानी हैं।
उन्होंने अभी तक के आपने जीवन काल मे हमरीं हर छोटी बडी जरूरत का बखूबी से ख़याल रखा अपना सर्वस्व हमपर समर्पित कर दिया। कभी पीहर भी जाये तो वही से दिन भर हर बात की खबर रखती है 😀 वह सबकुछ भूलकर हमारे प्रेम में मगन रहती है। उसे पता है बच्चों की सम्भालना आसान है लेकिन पंडित जी को संभाल पाना बहुत कठिन है इसीलिए उनका सारा ध्यान हमपर रहता है। केवल प्रेम किया है इसलिए साथ है ऐसा बिल्कुल नही बल्कि हमने प्रेम को सही तरीके से समझा है अच्छे से जिया है। हमारे बीच आपसी मनमुटाव केवल एकपल के लिए रहता है अगले पल मानो कुछ हुआ या नही पता ही नही चलता। हर तरफ हमारे निस्वार्थ प्रेम की चर्चा लगी रहती है। और पण्डिताइन है कि सबकुछ छोड़ परिवार में खोई रहती हैं।
इसीलिए लिए पण्डिताइन जी पर पंडित जी का सर्वस्व समर्पित 😘 आई लव यू मेरी जान
© उन्मुक्क्त अनूप