जिंदगी का सच
सच कहना...
क्या आज इस महानगर के ५०० फीट के घर में तुम सुखी हो ? या गाँव की उस खपरैल वाले घर की बड़ी शिद्दत से याद आती है, जहाँ आँगन में नीम के पेड़ तले अम्मा चूल्हे पर मक्के की रोटी बनती थी
सच कहना...
क्या आज टेबल पर बैठ कर ब्रेड बटर खा कर तुम सुखी...
क्या आज इस महानगर के ५०० फीट के घर में तुम सुखी हो ? या गाँव की उस खपरैल वाले घर की बड़ी शिद्दत से याद आती है, जहाँ आँगन में नीम के पेड़ तले अम्मा चूल्हे पर मक्के की रोटी बनती थी
सच कहना...
क्या आज टेबल पर बैठ कर ब्रेड बटर खा कर तुम सुखी...