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अच्छे वाले बुरे
अच्छे वाले बुरे ___
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वो सर्दियों के ठिठुरते दिन ,वो पहले xam की धुली धुली सी साफ सुथरी सुबह, वो सहमी सहमी सी तुम
वो notes में उलझी उलझी सी तुम्हारी चितचोर आंखें_
तुम घबराई सी... दांतों तले रबर दबाए हाथों से अपनी चोटी बनाती हुई _ बगल में रखे नोट्स में उलझी हुई आंखों से परेशान सी ... सामने खड़े सैकड़ों चेहरों से अनजान सी _
और मैं बेफ़िक्री से तुम्हारी ओर निहारता हुआ _
_xam के घबराहट से कोसों दुर लड़का_ तुम्हारे करीब होकर, अपने दोस्त के कंधे पे अपने बाजुओं को पसारे हुए ये सोचता हुआ लड़का की _ "सुनो लड़की मेरी ओर देखो और आँखें बंद करके गहरी सांसें भरो और फिर मुझे देखते हुए निस्वाश में धीरे धीरे अपने सारे डर को बाहर निकाल फेंको... ये डर से फारिग होकर अपने चेहरे पे मुस्कान का श्रृंगार करो.. कहो तो मैं तुम्हें एक अपना पसंदीदा लतीफा सुनाऊं... फिर देखना तुम इतना हंस उठोगी की तुम्हारी आंखों से हल्की हल्की बूंदे बरस पड़ेगी मैं उन बारिशों को अपनी अंगुलियों से हटाने के बहाने तुम्हें स्पर्श करके इस खुबसूरत यहसास के पराकाष्ठा का स्पर्श कर लूंगा...
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अपनी ओर मुझे मुसकुराता देखकर मुझे आवारा सोचती हुई तुम
और तुम्हारे सर्दियों से लाल पड़ गए गालों की रंगत को शाम की लाली से ज्यादा मनोरम सोचता हुआ मैं
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पहले प्यार की धूप से जला - जला सा मेरे दिल पे
शीतल एलोविरा सी तुम _
मुझे फिर से मोहब्बत की दुनियां में खींच रही थीं
मुरझाया सा मेरी रूह के फूलों को अपने सुंदर रूप के पानी से सींच रही थीं
फिर से मेरे अंदर का वो शायर जो .. जो मर सा गया था.. ज़िंदा हो उठा
तुम्हारे उपर नज्में लिखने के लिए पागल_हो उठा..
वर्षों से सूखे से मेरे होठों पे मुस्कुराहट तैरने लगी
ख़ुद को संवारने का जी करने लगा...
तुम्हारे सोहबत में शामें गुजारने का जी करने लगा
औकात से बाहर तुम हद से ज्यादा हसीन लड़की
और मैं चेतन भगत के cross your limit स्पीच से प्रेरित लड़का __
°°° _
१.
मैं पहली नज़र में ऐसा ही लगता हुं _
कैसा?
"आवारा _"
क्या आवारा? पर मुझे तो नही लगे
सच? _
मुच -
"सच मूच" एक साथ बोलते हुए हम हंसे
अच्छा ये बताओ?
क्या?
तुम्हें पहली नजर में कैसा लगे थे?
झूठ बोलूं या सच?
पहले झूठ?
बहुत ही ज्यादा अच्छे.. शरीफ ,उच्च विचार वाले, आदर्श बालक ,
हा हा हा....
और अब सच भी मैम_ बता ही दीजिए
अरे छोड़ो.. बेकार में तुम नाराज हो जाओगे
नही... मैं सही बातों से कभी नाराज़ नहीं होता
दिलफेक, बुरे, आवारा
"आवारा "
मैनें बोला था न पहली मुलाकात में सबको मैं _ऐसा ही लगता हुं _
वैसे अब भी वही नजरिया है या कुछ बदला?
हां थोड़ा थोड़ा बदला है ?
क्या बदला?
अब तुम मुझे अच्छे वाले आवारा, अच्छे वाले बदमाश और अच्छे वाले बुरे लगते हो
"अच्छे वाले बुरे " मैंने रेखांकित करते हुऐ एवं हंसते हुए कहा
मेरे साथ श्रुति भी हंसी _
चलो शुभ रात्रि_ अच्छा कल मिलते है_
कहां?
कल बताएंगे?
नही अभी बताओ
कल तो कल
नही अभी तो अभी _जानना है
ये कल और अभी के लड़ाई ने आधा घंटा और हमें जगाएं रखा
_ और दोनों के जिद्दी से जिद में श्रुति की जिद जीत गई_
" नगर पुस्तकालय में"
ठीक है _ शुभ रात्रि
वैसे तुम बहुत जिद्दी हो
और तुम भी _
हम दोनों में से कोन ज्यादा जिद्दी है _हमें और आधा घंटा जगाए रखा
हर विषय के अंत होते होते एक नए विषय का जन्म हो जाना _ और कॉल खत्म होना टल जाना ये बड़ी मीठी और सुकुन देय त्रासदी थीं _
"श्रुति 2 बज गए..". अपनी फुवा की शादी में कोन सा
अनोखा हीरे मोती जड़ी सूट पहनी थी और क्यों तुम्हारा वो कुत्ता घर छोड़कर कहीं भाग गया था कल सुनेंगे _
गुड नाईट
"1 sec _"
"तुमने शैडो को कुत्ता बोला और मेरा मजाक बनाया"
"अरे नही तुम्हारा मजाक कहां बनाए"
"नही तुमने बनाया और शैडो को तुम कुत्ता कैसे बोल "सकते हो, he is my sweet baby_"
तुमसे अब बात नही करेंगे
तुम ये हो_ वो हो ...
सो गए क्या...??
ओए हैलो _
अगली सुबह 20 अनरीड मैसेजेस _
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लिपिक सीरीज
_©Rajeev