प्रतीक्षा
एकमात्र प्रतीक्षा ही है जिसकी कोई सीमा नहीं होती और शायद हो भी नहीं सकती,क्योंकि जो प्रतीक्षा करने का प्रण लेता है वो किसी समय से शर्त नहीं बाँधता।
"प्रतीक्षा एक निःस्वार्थ भाव है जो किसी के हृदयँ में समर्पण के कारण जन्मता है।"
एक...
"प्रतीक्षा एक निःस्वार्थ भाव है जो किसी के हृदयँ में समर्पण के कारण जन्मता है।"
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