दर्द।
सुना है दुनिया में हर चीज़ की एक औकात होती है उससे बाहर वह चीज़ कुछ नहीं है। बस यही सोच कर मैं दर्द और तकलीफ की औकात पर experiment कर रही हूं।
ताकि मैं जान सकूं कि दर्द की औकात क्या है?
एक मज़ेदार बात ये है कि ये दर्द ही है जो हमेशा इंसान को उसकी औकात याद दिलाता है।और इस तरह ये ना जाने कितनों को तोड़ देता है।
लेकिन शायद आज तक किसी ने दर्द को इसकी औकात नहीं बताई ।वरना उसे भी पता चलता कि वह कितने पानी में है।इसीलिए दर्द इतना घमंडी हो गया है।वह समझता है वह कुछ भी कर सकता है।किसी को भी तोड़ सकता है।
लेकिन बेचारे दर्द को नहीं पता कि उसकी हैसियत क्या है ?अरे वह तो इतना मामुली सा है कि उसका अपना स्वयं का कोई वजूद भी नहीं है।
उसे रहने के लिए भी इंसान से ही जगह लेनी पड़ती है।और वह हैं कि जनाब घमंड में अंधे हुए जा रहे हैं कि"मैंने बड़ों बड़ों को तोड़ दिया है"
लेकिन वह शायद ये नहीं जानता कि वह बड़े बड़े लोग थे इस लिए तुझ जैसे छोटे पर ध्यान नहीं दिया ।
लेकिन हम ....
हम तो साधारण इंसान हैं।हम तुझे तेरी औकात ज़रूर याद दिलाएंगे
कि
तू है क्या .............
Fayza
© fayza kamal
ताकि मैं जान सकूं कि दर्द की औकात क्या है?
एक मज़ेदार बात ये है कि ये दर्द ही है जो हमेशा इंसान को उसकी औकात याद दिलाता है।और इस तरह ये ना जाने कितनों को तोड़ देता है।
लेकिन शायद आज तक किसी ने दर्द को इसकी औकात नहीं बताई ।वरना उसे भी पता चलता कि वह कितने पानी में है।इसीलिए दर्द इतना घमंडी हो गया है।वह समझता है वह कुछ भी कर सकता है।किसी को भी तोड़ सकता है।
लेकिन बेचारे दर्द को नहीं पता कि उसकी हैसियत क्या है ?अरे वह तो इतना मामुली सा है कि उसका अपना स्वयं का कोई वजूद भी नहीं है।
उसे रहने के लिए भी इंसान से ही जगह लेनी पड़ती है।और वह हैं कि जनाब घमंड में अंधे हुए जा रहे हैं कि"मैंने बड़ों बड़ों को तोड़ दिया है"
लेकिन वह शायद ये नहीं जानता कि वह बड़े बड़े लोग थे इस लिए तुझ जैसे छोटे पर ध्यान नहीं दिया ।
लेकिन हम ....
हम तो साधारण इंसान हैं।हम तुझे तेरी औकात ज़रूर याद दिलाएंगे
कि
तू है क्या .............
Fayza
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