लड़की होना - एक पछतावा
रिश्ता ही इतना खास था
उसमें वो शक़ कहाँ से लाती
छोटी सी तो अभी उम्र थी
इतना तजुर्बा वो कहाँ से लाती
अपनों की शक्ल में छिपे थे भेड़िये
पहचान सके वो उनको ऐसी नज़र कहाँ से लाती
सिसक-सिसक कर कट रही थी रातें...
उसमें वो शक़ कहाँ से लाती
छोटी सी तो अभी उम्र थी
इतना तजुर्बा वो कहाँ से लाती
अपनों की शक्ल में छिपे थे भेड़िये
पहचान सके वो उनको ऐसी नज़र कहाँ से लाती
सिसक-सिसक कर कट रही थी रातें...