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एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में होकर संपन्न सिद्ध घोषित है।।
यह एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त व असंभव प्रेम गाथा संपन्न है, जिसमें दोनों काल्पनिक स्तुति के बगैर यह गाथा संपन्न हो ही नहीं सकती क्योंकि यह एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त एक वैशया और एक अन्य कि संपन्न श्रोत स्तुति समाप्ति है जिसमें लेखिका अपनी स्तुति नायिका संग गाथा ए स्वांग म्यान संपन्न के रंगमंच पर लेखक आदेशानुसार आगे बढ़ रही है और संपन्निका होने पर भी वह एक लेख उपस्थित कर अपनी यात्रा के बारे में और लेखक
लिखती है -जिसका विषय है -"जमाने के जिस दौर से हम इस वक्त गुजर रहे ,अगर आप भी इससे नावकिफ़ है तो मेरे अफसाने पढ़िए ।।

अगर आप इन अफसानों को बर्दाश्त नहीं कर सकते तो इसका मतलब है कि ये ज़माना नकाबिल _ए_बरदाशत है... मुझे में जो बुराइयां हैं , वो इस अहद की बुराइयां हैं... मेरी तहरीर में कोई नक्स नहीं ।।जिस नक्स को मेरे नाम से मंसूब किया जाता है , दरअसल मौजूद निज़ाम का नक्स है।।
नायिका -रंगरलिका 🪔
🪔 महालोक्तिका रंगलिका 🪔