एकांत से मनोरुग्न समस्या एवं उपाय
हाय दोस्तों,, आज एक ऐसे विषय पर विस्तार से बात करेंगे जिससे युवा वर्ग काफी संक्रमित है इसका नाम हैं " एकांत "
सुरूआत मे सभी को एकांत बहुत अच्छा लगता हैं जब इंसान किसी बात को लेकर अकेला पड़ जाता है या समस्याओं से घिरा रहता हैं तब वो कुछ समय के लिए अकेला रहना चाहता हैं। कुछ ऐसे भी होते है जिन्हें परिस्थितियों का सन्मान करके अकेला रहना पड़ता हैं। लेकिन अकेला रहकर इंसान खुद के बारे में जरूरत से ज्यादा सोचने लगता है और फिर धीरे धीरे भावुक हो जाता है जिस कारण वह व्यक्ति छोटी छोटी बात पर रोने लगता है समस्या किसी की भी हो उसे अपने ऊपर लेने लगता है। मन ही मन में अलग अलग तरह के ख़याल बनाने लगता है । बाद में उसे लगने लगता है उसके पास सारी समस्याओं का समाधान है परंतु होता उसके विपरीत ही है।
ऐसा व्यक्ति किसी के भी बहकावे सहजता से आ जाता है।
दोस्तो मनोविज्ञान के बड़े से बड़े डॉक्टर भी अपनी यही राय रखते है :-
♂ दोस्तो जो भी व्यक्ति एकांत से पीड़ित हो उसे सबसे पहले जरूरत से ज्यादा सोचना बंद करना पड़ेगा।
♀ दिन भर अलग अलग काम मे व्यस्त रहना जैसे मानो अगर लड़की एवं महिला हो घर के काम उसके अलावा किताबे पढ़ने में समय बिताना सबसे उत्तम मार्ग है। अगर टीवी देखना पसंद है तो मनोरंजक कार्यक्रम, पसंदीदा गाने या फ़िल्म देख सकते है। अगर ये भी नही करना तो सभी के पास मोबाइल फोन होता है उसमें सर्च करते रहना Study संबंधित या पैसे कमाना होतो Online Earning App बहोत है। घर बैठे Social Media Marketing करके भी पैसे कमा सकते है देखिये पैसे कमाना एक बहाना रहेगा लेकिन यही आदत आपको एकांत से बाहर निकलेगी।
♂ आप ज्यादतर समय सबके साथ बताइये अकेला न रहे ज्यादा सोचना एवम गुस्सा इस कारण इंसान को शारीरिक आकर्षण बढ़ने लगता है ऐसा मैं नही कहता मनोविज्ञान के डॉक्टर कहते है।
♀ एकांत में जाना जितना आसान है उससे ज्यादा कठिन उससे बाहर आना।
मेरे नजरिए बसे देखो तो इससे बाहर आना बहुत आसान हैं..!! मैने कइयों को इस समस्या से बाहर निकाला है..!!
© उन्मुक्क्त अनूप
सुरूआत मे सभी को एकांत बहुत अच्छा लगता हैं जब इंसान किसी बात को लेकर अकेला पड़ जाता है या समस्याओं से घिरा रहता हैं तब वो कुछ समय के लिए अकेला रहना चाहता हैं। कुछ ऐसे भी होते है जिन्हें परिस्थितियों का सन्मान करके अकेला रहना पड़ता हैं। लेकिन अकेला रहकर इंसान खुद के बारे में जरूरत से ज्यादा सोचने लगता है और फिर धीरे धीरे भावुक हो जाता है जिस कारण वह व्यक्ति छोटी छोटी बात पर रोने लगता है समस्या किसी की भी हो उसे अपने ऊपर लेने लगता है। मन ही मन में अलग अलग तरह के ख़याल बनाने लगता है । बाद में उसे लगने लगता है उसके पास सारी समस्याओं का समाधान है परंतु होता उसके विपरीत ही है।
ऐसा व्यक्ति किसी के भी बहकावे सहजता से आ जाता है।
दोस्तो मनोविज्ञान के बड़े से बड़े डॉक्टर भी अपनी यही राय रखते है :-
♂ दोस्तो जो भी व्यक्ति एकांत से पीड़ित हो उसे सबसे पहले जरूरत से ज्यादा सोचना बंद करना पड़ेगा।
♀ दिन भर अलग अलग काम मे व्यस्त रहना जैसे मानो अगर लड़की एवं महिला हो घर के काम उसके अलावा किताबे पढ़ने में समय बिताना सबसे उत्तम मार्ग है। अगर टीवी देखना पसंद है तो मनोरंजक कार्यक्रम, पसंदीदा गाने या फ़िल्म देख सकते है। अगर ये भी नही करना तो सभी के पास मोबाइल फोन होता है उसमें सर्च करते रहना Study संबंधित या पैसे कमाना होतो Online Earning App बहोत है। घर बैठे Social Media Marketing करके भी पैसे कमा सकते है देखिये पैसे कमाना एक बहाना रहेगा लेकिन यही आदत आपको एकांत से बाहर निकलेगी।
♂ आप ज्यादतर समय सबके साथ बताइये अकेला न रहे ज्यादा सोचना एवम गुस्सा इस कारण इंसान को शारीरिक आकर्षण बढ़ने लगता है ऐसा मैं नही कहता मनोविज्ञान के डॉक्टर कहते है।
♀ एकांत में जाना जितना आसान है उससे ज्यादा कठिन उससे बाहर आना।
मेरे नजरिए बसे देखो तो इससे बाहर आना बहुत आसान हैं..!! मैने कइयों को इस समस्या से बाहर निकाला है..!!
© उन्मुक्क्त अनूप