...

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एक लड़की की विडंबना,,
मै मुस्कान आज कोई कहानी नहीं बल्कि एक लड़की के मन में जो उलझने होती है उनके बारे में बताने जा
रही हूं,,

गुड़ा गुड़िया खेल खिलौने बचपन में बाबा मुझे खिलाते थे,,

हूं मै एक मोम की गुड़िया ये बाबा मुझे
बताते थे,,

हर बुराई से दूर रखा किसी भी अजनबी से
बात ना करना ये बाबा आप मुझे
हमेशा सिखाते थे,,

हर चीज़ में इतनी सतर्कता बाबा आप दिखाते थे,,

पर मेरे मन में एक विडंबना जो आज
पनप रही है बाबा आप की बिटिया आज एक अजनबी संग चल रही है,,

ना जाने वो कैसा होगा ,,अच्छा होगा या बूरा जानती हूं बाबा आप कोयले
में हीरा ढूंढने की काबिलियत रखते हो,,

पर फिर भी मन में एक अजीब सी
उलझन है जो सुलझ पाती नहीं,,

बाबा क्यों? ये विडंबना मेरे मन से
जाती नहीं,,

एक अजनबी के हाथो में मुझे कल
सौप दिया जाएगा,, करके मेरा कन्यादान मुझे कल विदा किया जाएगा,,

ना जाने मेरे जीवन में अब कौन सा पड़ाव आएगा,,

सोच रही हूं कैसे बाबा एक पल में
मेरा पूरा जीवन बदल सा जाएगा,,

होगा एक परिवार नया ,,लगेगा सबकुछ
अजनबी वहा कैसे मै खुद का नया
संसार बसाऊगी ,,
होगी अगर कभी
मुझे कोई परेशानी तो मै किसे बताऊंगी,,

मन की मेरी उलझने कल से कौन
सुलझाएगा आख़िर कौन बाबा
मुझे अपने हाथो से खाना खिलाएगा,,

क्या ?कभी कोई मेरी इस अजीब विडंबना को समझ पाएगा,,


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