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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
"श्रीकृष्णजन्माष्टमी"-इस शब्द से कुछ स्मरण हुआ? अरे जिसे आप हर वर्ष श्रीकृष्ण वासुदेव जी के जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं। पर आज तक बहुत कम ही लोग "श्रीकृष्णजन्माष्टमी" का महत्व समझ पाए हैं।

क्या ऐसा नहीं हुआ है?

आप अपने आसपास दृष्टि डालिए-
●कहीं कोई श्रीकृष्ण वासुदेव जी का भेष धारण कर माखन भरी मटकी फोड़ रहा है,
●कहीं कोई झाँकियाँ लगाकर झूले झूला रहा है,
●और कोई बच जाता है तो वो,प्रवचन और सत्संग के नाम पर-"हरे कृष्णा हरे कृष्णा" या "राधे-राधे" का उच्चारण कर रहे हैं।

(वास्तव में सब श्रीकृष्ण बनने का या स्वयं को उनके मार्ग पर चलाने का छल भर मात्र ही कर रहे हैं स्वयं से।)
हम "श्रीकृष्णजन्माष्टमी" के वास्तविक मूल को तो समझ ही नहीं पाए।

"श्रीकृष्णजन्माष्टमी" अर्थात्‌ अधर्म के विनाश हेतु धर्म की स्थापना का रखा गया प्रथम चरण।

नहीँ?

अरे श्रीकृष्ण वासुदेव जी ने स्वयं ये वचन दिया है-

"यदा यदा हि धर्मस्य,ग्लानिर्भवति भारत...