...

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दिल के अल्फाज
मुक़्क़दर का लिखा तो
मैं न मिटा पाऊंगा
पर ये सच है ता उम्र
तेरा साथ निभाउंगा

मत बहा अपनी प्यारी
आंखों से आंसू अब
तेरा हर एक सपना
अब से मैं सजाऊंगा

दफ़्न जो जज्बात है
मिटा से क़ल्ब से उनको
दर्द के हर सैलाब में लड़कर
मैं तुम्हें बचाऊंगा

ले जाऊंगा तुम्हें इस
दुनियां से परे किसी जगह
फिर वही प्यार की
खूबसूरत दुनिया बसाउंगा

जहां आकर दम तोड़ देती है
मुहब्बत लोगों की
उस जगह भी मैं,तेरे
कदम से कदम मिलाऊँगा

दर्द और तन्हाई से नाता
अब न रहने दूंगा तेरा
थामकर हाथ तेरा मैं
दर्द-ए-हयात मिटाऊंगा

असुलझी पहेली को
सुलझाने का शौक नहीं मुझें
मैं तो अब तेरे दिल से
अपने दिल को उलझाऊंगा

जिस तरह तुझे मनाया है,
मुहब्बत की ख़ातिर
तेरे आंसुओ को न बहने
के लिए फिर मनाऊंगा

न हैं मेरी बातों पर यकीं,
तो कोई बात नहीं "नितेश"
शायद औरों की तरह मैं
अपनी बात नहीं रख पाऊंगा

#chaurasiya4386

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