दहेज - एक कुरीति
कितनी खुश थी आज सुमन। उसकी शादी जो थी। आँखों में अनगिनत सपने संजोए वो अपने हमसफर के आने की राह तक रही थी। कितनी सुहानी होगी उसकी आने वाली ज़िंदगी, ये सोचकर मंद-मंद मुस्कुरा रही थी सुमन। जो सपने देखे थे उसने वो आज पूरे होने को थे। सोच रही थी वो कि एक ख़ुशहाल ज़िंदगी की शुरुआत होने वाले हैं। अपने माता पिता से दूर जाने का भी दुख था उसे। पर एक अजीब सी खुशी भी महसूस कर रही थी वो। उसकी खुद की एक नई ज़िंदगी जो शुरू होने को थी।
सारे घर में चहल-पहल का माहौल था। माँ बाबा आज कितने खुश थे। उनकी प्यारी बेटी का घर बसाने को था। बारात के स्वागत की तैयारी में सब लगे हुए थे। अपनी बेटी की खुशी की ख़ातिर उन्होंने अपनी हैसियत से ज़्यादा ही खर्चा किया था। पर उनको इस बात कोई मलाल ना था। आख़िर होता भी क्यूँ। बेटी की खुशी से ज़्यादा और क्या मायने रखता है किसी भी माता पिता के लिए। खाने-पीने का पूरा बंदोबस्त...
सारे घर में चहल-पहल का माहौल था। माँ बाबा आज कितने खुश थे। उनकी प्यारी बेटी का घर बसाने को था। बारात के स्वागत की तैयारी में सब लगे हुए थे। अपनी बेटी की खुशी की ख़ातिर उन्होंने अपनी हैसियत से ज़्यादा ही खर्चा किया था। पर उनको इस बात कोई मलाल ना था। आख़िर होता भी क्यूँ। बेटी की खुशी से ज़्यादा और क्या मायने रखता है किसी भी माता पिता के लिए। खाने-पीने का पूरा बंदोबस्त...