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बुरा न मानो होली है
बुरा न मानो होली है-- साहित्य का बाजार भाव..
इन दिनों बाज़ार में साहित्य की स्थिति एफ सी आई के गोदामों में सड़ती अनाज की बोरियों की तरह हो गयी है । दोनों जगह माल तो प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है ,लेकिन कोई खरीददार नहीं मिल रहा । एक जगह मांग बहुत है लेकिन आपूर्ति नहीं हो रही, तो दूसरी जगह आपूर्ति...