बड़ी हवेली (नाइट इन लंदन - 2)
पूरी रात कमांडर से बातचीत करके तनवीर और अरुण अपने कमरों में आराम करने चले गए। सुबह करीब ग्यारह बजे गाड़ी बनकर आ गई। तनवीर और अरुण ने सारा सामान गाड़ी के अंदर रख लिया, तनवीर ने संदूक को संभालकर गाड़ी में रख लिया क्यूँकि इस बार कमांडर को फ़ार्म हाउस पर छोड़ना एक बेवकूफ़ी होती। तीनों कानपुर के सफ़र के लिए निकल पड़े।
रास्ते में उस अनजान लड़की जिसका नाम राधिका था, उसका गाँव आते ही उसे उतार दिया और अपने सफ़र पर रवाना हो गए।
कुछ दिनों बाद दोनों कानपुर की बड़ी हवेली पहुंचे। अरुण कुछ देर हवेली पर रुककर अपने घर चला गया, ये कहकर कि कल आऊँगा। हवेली पर तनवीर और अरुण कि घाव देखकर सभी परेशान थे पर तन्नू ने उन्हें सारी बातें खुलकर समझा दीं। तनवीर ने कमांडर के सिर वाले संदूक को तहखाने में उसके धड़ के साथ ही रख दिया, उसने संदूक से कमांडर का सिर बाहर निकाल कर उसके धड़ के साथ रख दिया और कमरे में आराम करने चला गया।
सात बजे तनवीर सो कर उठा और सीधा हॉल में आकर बैठ गया जहाँ उर्मिला और शहनाज़ पहले से ही हैदर के साथ बैठे हुए थे। तनवीर के वहां पहुंचते ही दोनों लड़कियां उसके सफ़र के बारे में पूछने लगीं, तनवीर ने उन्हें सारी कहानी सुना दी, कमांडर के साथ हुई मुलाकात के बारे में भी बताया। दोनों लड़कियों का डर से बुरा हाल हो गया था, क्यूँकि आज तो सिर का धड़ के साथ सालों बाद मिलन होना था। आज रात सबको यही खतरा था कि कहीं कमांडर अपनी बातों से मुकर न जाए और सभी का खेल खत्म कर दे।
सभी ने निर्णय लिया कि आज आस पास के कमरों में ही सोया जाएगा, एक साथ रहेंगे तो हम सबका नुकसान नहीं होगा, इसलिए अगल बगल के कमरों में ही सबने सोने का मन बना लिया ताकि किसी को कोई दिक्कत हुई तो अगले कमरे से मदद की पुकार को सुना जा सकता है।
सभी ने जैसा प्लान बनाया था वैसा ही किया, रात को...
रास्ते में उस अनजान लड़की जिसका नाम राधिका था, उसका गाँव आते ही उसे उतार दिया और अपने सफ़र पर रवाना हो गए।
कुछ दिनों बाद दोनों कानपुर की बड़ी हवेली पहुंचे। अरुण कुछ देर हवेली पर रुककर अपने घर चला गया, ये कहकर कि कल आऊँगा। हवेली पर तनवीर और अरुण कि घाव देखकर सभी परेशान थे पर तन्नू ने उन्हें सारी बातें खुलकर समझा दीं। तनवीर ने कमांडर के सिर वाले संदूक को तहखाने में उसके धड़ के साथ ही रख दिया, उसने संदूक से कमांडर का सिर बाहर निकाल कर उसके धड़ के साथ रख दिया और कमरे में आराम करने चला गया।
सात बजे तनवीर सो कर उठा और सीधा हॉल में आकर बैठ गया जहाँ उर्मिला और शहनाज़ पहले से ही हैदर के साथ बैठे हुए थे। तनवीर के वहां पहुंचते ही दोनों लड़कियां उसके सफ़र के बारे में पूछने लगीं, तनवीर ने उन्हें सारी कहानी सुना दी, कमांडर के साथ हुई मुलाकात के बारे में भी बताया। दोनों लड़कियों का डर से बुरा हाल हो गया था, क्यूँकि आज तो सिर का धड़ के साथ सालों बाद मिलन होना था। आज रात सबको यही खतरा था कि कहीं कमांडर अपनी बातों से मुकर न जाए और सभी का खेल खत्म कर दे।
सभी ने निर्णय लिया कि आज आस पास के कमरों में ही सोया जाएगा, एक साथ रहेंगे तो हम सबका नुकसान नहीं होगा, इसलिए अगल बगल के कमरों में ही सबने सोने का मन बना लिया ताकि किसी को कोई दिक्कत हुई तो अगले कमरे से मदद की पुकार को सुना जा सकता है।
सभी ने जैसा प्लान बनाया था वैसा ही किया, रात को...