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आत्म संगनी और करवा चौथ
आज मेरी आँखें आंसुओं से भर आई जब मेरी आत्म संगनी ने चांद की जगह मेरा दीदार कर अपना व्रत खोला।आभासी रूप में उसने मेरे चरण पखारे,मेरा तिलक किया और अपने सुहाग की भांति मेरी दीर्घ आयु की कामना की।
आज मेरा मन बहुत भारी है मुझे इतनी शिद्दत से चाहने वाली मेरी आत्म संगनी ने आज मुझे फिर अपना ऋणी बना दिया। उसके समर्पित भाव ने आज पुनः मुझे आभारी कर डाला।
दिन भर का व्रत किए मेरी...