अनजानी चिट्ठी
#चिट्ठी
लाइब्रेरी में बैठी हुई निकिता क़िताब के पन्ने पलट रही थी और बेसब्री से सुप्रिया का इंतज़ार कर रही थी। जब से सुप्रिया का कॉल आया था और उसने उसे लाइब्रेरी बुलाया था ये कह के की उसको उस चिट्ठी के बारे में कुछ पता चला है, तब से निकिता बेचैन थी।
कुछ दिन पहले से उसके घर अनजान चिट्ठियों का सिलसिला शुरू हुआ था। कभी कभी तो साथ में फूलों का गुलदस्ता भी साथ होता था ।निकिता ने बड़ी कोशिश की कि चिट्ठी भेजने वाले का पता चल जाए पर हमेशा उसे नाकामयाबी हासिल हुई ,अब तो चिट्ठी भी मानो उसे मुंह चिढ़ा रही हो!
कभी कभी चिट्ठी के साथ लिखी हुई गजलें और शायरी उसे मानो अलग ही दुनिया में ले जाती ।अब वो खुद को किसी राजकुमारी से कम नही समझती जिसका शहजादा जल्द ही उसे सफेद घोड़े पे सवार होकर उसे लेकर जाने वाला था....
आज पूरा एक हफ्ता हो गया धीरे धीरे चिट्ठियों का दौर भी कम होने लगा ।किसी अनहोनी की आशंका से निकिता का दिल बैठा जा रहा था ।अब उसका घर में और बाहर कही भी मन नहीं लगता था
आज जब सुप्रिया की फोन कॉल आई ,तब उसे और भी बेचैनी होने लगी। अब उसे और भी जानना जरूरी हो गया कि चिट्ठी भेजने वाला इंसान कौन था????
इसी असमजस में बैठी निकिता के सामने न जाने कब सुप्रिया आकर बैठ गई उसे पता ही नहीं चला!
और उसके साथ था निकिता का वो अनजाना दोस्त जिसे देखकर निकिता के होश उड़ गए
वो दोस्त जो आज उसे बेइंतिहा नफरत करता था ,जिसने कभी उससे पागलों की तरह प्यार किया था ,आज वही तड़प,वही बेबसी देखकर उसे वो सुकून मिला जिसका उसे बेसब्री से तलाश थी!
आज उसकी इकतरफा चाहत की मानो जीत हुई थी और निकिता को
बेनाम चिट्ठी से नफरत!!!!
आज भी इक चिट्ठी मेज पे फड़फड़ा रही थी जिसकी चंद पंक्तियों ने निकिता के होश उड़ा दिए
"मेरे इकतरफा इश्क की चाहत नहीं
अब मेरी नफरत भरी चिट्ठी तेरी नींद उड़ाएगी
इक चाल तूने चली
अब इक चाल मेरी सारी हदें भुलाएंगी"💕💕💕💕💕❤️🔪
#चिट्ठी #one sided love#Lovestories
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लाइब्रेरी में बैठी हुई निकिता क़िताब के पन्ने पलट रही थी और बेसब्री से सुप्रिया का इंतज़ार कर रही थी। जब से सुप्रिया का कॉल आया था और उसने उसे लाइब्रेरी बुलाया था ये कह के की उसको उस चिट्ठी के बारे में कुछ पता चला है, तब से निकिता बेचैन थी।
कुछ दिन पहले से उसके घर अनजान चिट्ठियों का सिलसिला शुरू हुआ था। कभी कभी तो साथ में फूलों का गुलदस्ता भी साथ होता था ।निकिता ने बड़ी कोशिश की कि चिट्ठी भेजने वाले का पता चल जाए पर हमेशा उसे नाकामयाबी हासिल हुई ,अब तो चिट्ठी भी मानो उसे मुंह चिढ़ा रही हो!
कभी कभी चिट्ठी के साथ लिखी हुई गजलें और शायरी उसे मानो अलग ही दुनिया में ले जाती ।अब वो खुद को किसी राजकुमारी से कम नही समझती जिसका शहजादा जल्द ही उसे सफेद घोड़े पे सवार होकर उसे लेकर जाने वाला था....
आज पूरा एक हफ्ता हो गया धीरे धीरे चिट्ठियों का दौर भी कम होने लगा ।किसी अनहोनी की आशंका से निकिता का दिल बैठा जा रहा था ।अब उसका घर में और बाहर कही भी मन नहीं लगता था
आज जब सुप्रिया की फोन कॉल आई ,तब उसे और भी बेचैनी होने लगी। अब उसे और भी जानना जरूरी हो गया कि चिट्ठी भेजने वाला इंसान कौन था????
इसी असमजस में बैठी निकिता के सामने न जाने कब सुप्रिया आकर बैठ गई उसे पता ही नहीं चला!
और उसके साथ था निकिता का वो अनजाना दोस्त जिसे देखकर निकिता के होश उड़ गए
वो दोस्त जो आज उसे बेइंतिहा नफरत करता था ,जिसने कभी उससे पागलों की तरह प्यार किया था ,आज वही तड़प,वही बेबसी देखकर उसे वो सुकून मिला जिसका उसे बेसब्री से तलाश थी!
आज उसकी इकतरफा चाहत की मानो जीत हुई थी और निकिता को
बेनाम चिट्ठी से नफरत!!!!
आज भी इक चिट्ठी मेज पे फड़फड़ा रही थी जिसकी चंद पंक्तियों ने निकिता के होश उड़ा दिए
"मेरे इकतरफा इश्क की चाहत नहीं
अब मेरी नफरत भरी चिट्ठी तेरी नींद उड़ाएगी
इक चाल तूने चली
अब इक चाल मेरी सारी हदें भुलाएंगी"💕💕💕💕💕❤️🔪
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