...

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हसीन शाम की वो बारीश भी देखो कितनी प्यारी थी
घने बादलों में चमकी
वो बिज़ली अजब निराली थी
हसीन शाम की वो बारिश भी
देखो कितनी प्यारी थी
मैं था कुछ कोमल भाव का
वो भी प्यार मे पागल थी
हसीन शाम की वो बारिश भी
देखो कितनी प्यारी थी
मेरी उससे उसकी मुझसे
मुलाकातें अब जारी थी
हसीन शाम की वो बारिश भी
देखो कितनी प्यारी थी
धीरे-धीरे बढ़ा कारवां
वो रुत भी मस्तानी थी
हसीन शाम की वो बारिश भी
देखो कितनी प्यारी थी
मैं था इक अलग धर्म का
वो दूसरे धर्म की लङकी थी
मैं था करता पूजा, वो इवादत करती थी
हसीन शाम की वो बारिश भी
देखो कितनी प्यारी थी
चन्द लम्हो मे खतम हुई
ये हमारी कहानी थी
हसीन शाम की वो बारिश भी
देखो कितनी प्यारी थी॥