प्रेम और पीडा ( तिसरा भाग )
डिनर के बाद दोनो बेड रूम रूम मे आगये, अब माधवी को लगने लगा था कुछ तो बात तो है ?? या तो परिवार मे कुछ उलझन है, या किसी दोस्तों के साथ कुछ गलत हुआ है जिसे कमल उसे बताना नही चाहता है।
बेड पे आते ही कमल का विनोद शुरू हो जाता था, प्यार मे कितनी चुहलबाजियां माधवी का रोम रोम हर्षित होता है कमल के अंदाज ए मुहब्बत से। माधवी को ये कभी खयाल मे भी नही आया था कि कोई उसके लिए इतना भी दीवाना हो सकता है, इतनी शिद्दत से कोई चाह सकता है, उसने किस्से कहानियों मे ही पढा था देखा या सुना नही था।
कमल ने राधा कृष्ण की प्रेम लीला के बहुत सारे पलों को इस तरह बयान किया कि माधवी स्वयं मे राधे को पहचानने लगी और कमल को कृष्ण मानने लगी। अनेको बार ऐसा हुआ की जब पूजा करने बैठती तो ध्यान करती कृष्ण का और छवि कमल की उभरती थी मानस पे। प्रेम मे डूबी माधवी को कृष्ण मे कमल और कमल मे कृष्ण नजर आते थे।
धरा पे ऐसे युगल प्रेमी नही मिलते कहीं। आज भी कमल ने राधा और रूक्मिणी के प्रेम मे अंतर की बात सुना...
बेड पे आते ही कमल का विनोद शुरू हो जाता था, प्यार मे कितनी चुहलबाजियां माधवी का रोम रोम हर्षित होता है कमल के अंदाज ए मुहब्बत से। माधवी को ये कभी खयाल मे भी नही आया था कि कोई उसके लिए इतना भी दीवाना हो सकता है, इतनी शिद्दत से कोई चाह सकता है, उसने किस्से कहानियों मे ही पढा था देखा या सुना नही था।
कमल ने राधा कृष्ण की प्रेम लीला के बहुत सारे पलों को इस तरह बयान किया कि माधवी स्वयं मे राधे को पहचानने लगी और कमल को कृष्ण मानने लगी। अनेको बार ऐसा हुआ की जब पूजा करने बैठती तो ध्यान करती कृष्ण का और छवि कमल की उभरती थी मानस पे। प्रेम मे डूबी माधवी को कृष्ण मे कमल और कमल मे कृष्ण नजर आते थे।
धरा पे ऐसे युगल प्रेमी नही मिलते कहीं। आज भी कमल ने राधा और रूक्मिणी के प्रेम मे अंतर की बात सुना...