कैसे बताऊं मैं तुम्हें माँ तुम्हारी कमी बहुत खलती है
जब होता हूं उदास और ये काली रात ढलती है
तोड़ के हौसला मेरा जब ये वक्त की रेत फिसलती है
कैसे बताऊं मैं तुम्हें माँ तुम्हारी कमी बहुत खलती है
न पाकर तुम्हें नजरों के सामने जब मन की बेचैनी बढ़ती है
तुम्हारी यादों के...
तोड़ के हौसला मेरा जब ये वक्त की रेत फिसलती है
कैसे बताऊं मैं तुम्हें माँ तुम्हारी कमी बहुत खलती है
न पाकर तुम्हें नजरों के सामने जब मन की बेचैनी बढ़ती है
तुम्हारी यादों के...