...

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अधूरी ख्वाहिश.....
तारों सितारों से भरी शाम थी,
दोनों के बीच कुछ अनकही बात थी
मैं सज-धज कर महफ़िल में आई थी
हाथो में मेहंदी मैंने भी लगवाई थी
ठंडी हवा का झोका जुलफे सुलझा रहा था
और गानों का शोर दिल में हल चल सी मचा रहा था|
वो भी महफ़िल में दोस्त बनकर आया था
फर्श पर बिछा गलीचा और उसपर बैठे हम
नजरें चुराने लगे
पर ये शुरूआत थी या अंत दोनों इस बात से अनजान थे|

हम दोनों ही निकाह...