...

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फीकी मुस्कान
वो हर रोज घंटो समय लगाकर खुद को संवारती है....अपनी बड़ी_बड़ी आंखों को गहरे काले रंग के काजल से भरती है....अपने माथे पर एक बड़ी सी बिंदिया सजाती है....अपने लंबे घने केशो को बड़े ही सलीके से जुड़े में बांधती है.... कानों में बालियां और हाथों में भरी_ भरी चूड़ियां पहनती हैं....और आईने के पास खड़ी होकर घंटो खुद को निहारती है....

वो खुश होती है.....जरा सी मुस्कुराहट अपने चेहरे पर लाती है....उसे उसकी ही मुस्कुराहट सहज नहीं लगती.....वो कई बार अपनी मुस्कुराहट को दोहराती है.....और भरपूर कोशिश करती है.....उसकी मुस्कुराहट स्वाभाविक लगे......

उसका पहनावा हो या श्रृंगार सब कुछ उसकी कुलीन प्रतिष्ठा का प्रमाण है....

इन सब के बावजूद उसकी मुस्कान क्यूं फीकी है....
इसपर कभी किसी की नजर नहीं जाती.....

हां;
मिला भी तो है उसे एक व्यक्ति का नाम और उसकी दौलत.....जो उसके होठों पर मुस्कुराहट दे ना दे.....उसकी उदासियोंं को जरूर ढक देता है.....





#स्त्री



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