मेरी अधूरी कहानी
आज मेरे पापा आ रहे थे छुट्टी पर घर मैं बहुत खुश था मैं अपने पापा का इंतजार कर रहा था मेरे पापा आएंगे और मुझे बहुत सारे खिलोने लाएंगे ये खुशी मुझमें समाई नहीं जा रही थी मैं अपने कमरे से बहार आता और माँ से पूछता की माँ पापा का फोन आया कि वो कहां तक पहुचे माँ ये सब देख कर बहुत खुश हो जाती और मुझे कह देती कि वो आ गए दिल्ली मैं बस अब आने बाले है मैं इन शब्दोंं को सुनकर बहुत खुश। हो जाता था मुझे अपने कमरे मे मन नहीं लग रहा था मैं उतावला हो रहा था पापा के कारण अरे क्यों नहीं होगा एक बच्चा खुश की आज उसके पापा बहुत दिनों मैं जो आ रहे थे मैं बता देता हूँ मेरे पापा एक फौजी है और तुम सभी जानते होंगे की एक फौजी को छुट्टी कैसे मिलती होगी चलो छोड़ो इन बातों को मैं बता देता हूँ अपने घर के बारे मैं मेरे घर मैं कौन कौन है ये बता देता हूँ मेरे घर मैं मे और मेरी माँ और मेरी दादी। आज हमारे घर मैं ऐसा लग रहा था जैसे कोई त्यौहार हो ये सब मैं देख ही रहा था कि दरवाजे से अबाज आती हैं मैं भाग कर अपने कमरे से आगन मैं आ जाता हूँ और एक टक दरवाजे की और देखता हूँ दरवाजा खुलता है तो वहा पापा की जगह कोई और था मैं फिर नाराश् हो जाता हूँ और अपने कमरे मैं चला जाता हूँ और वहा रोने लगता हूँ ये सब मेरे साथ...