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प्रेम और पीडा ( पंचम अध्याय )
माधवी की जब आंख खुली तो देखा कमल नही है घर मे, उसने सोंचा वाक पे गये होगे , मै तब तक सारे काम निपटा लूं फिर नहाकर तैयार हो जाउं, कमल जब लौटेंगे और मुझे इस तरह सजी संवरी देखेगे तो कितने खुश हो जाएगे मन ही मन मुस्कुरा उठी माधवी, उसने जल्दी ही काम निपटाए और नहाने के लिए आलमीरा से कपडे निकालने गयी तो उसकी निगाह अचानक उस गाउन पे पडी जो कमल ने उसके जन्मदिन पर अपनी पसंद से लाकर दिए थे, उसके जन्मदिन की शाम जब उसने वो गाउन पहनके कमल के पास आई थी तो कितनी खुशी देखी थी कमल के चेहरे पे वो बाहो मे उठा लिया था माधवी को और कमरे मे कितनी देर तक नाचता रहा था और उसके माथे को चूमकर कितने विश किए थे । इतने हर्ष से तो उसके मायके मे भी कभी उसका जन्मदिन नही मनाया गया था ।
कमल के मन मे अपने लिए इतनी दीवानगी देखकर उसका मन झूम जाता है वो कितनी नसीबो वाली है उसे कमल जैसा प्यार करनेवाला दीवानगी की हद से चाहनेवाला हमसफ़र मिला है।
उसने सोचा क्यूँ न आज नहाकर इसी गाउन को पहने हल्के फिरोजी रंग की वो गाउन सचमुच बहुत ही खुबसूरत थी उसपे सफेद मोतियों को इतने सलिके से टांका हुआ था की बस गाउन मे चार चांद लग गये थे । माधवी के उपर इतनी जंचती थी वो गाउन कि कमल तो क्या जो भी देखता देखता ही रह जाता था ।
माधवी आलमारी से गाउन निकाला और मुस्कुराती हुई बाथरूम की ओर बढ गयी।
कमल और धर्म अब घर के बाहर पहुँच गये थे, दोनों बाहर ही रूक गये और बाते करने लगे।
धर्म...