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भोजपुरी के कालजई गीत का भावार्थ (पार्ट=7)
नमस्कार दोस्तों 🙏🙏
आज मैं फिर से आप सभी का स्वागत करता हूं अपने इस लेखन कार्यक्रम में जहां पर हम भोजपुरी सिनेमा के कुछ शानदार गीतों की हास्य व्यंग मिश्रित व्याख्या कर रहे🤗

आज हम जिस गीत का भावार्थ करेंगे उस गीत को लिखा है अरविंद अकेला (कल्लू)जी ने और स्वयं गायन करके इस गीत को बिहारी लौडो को नृत्य के लिए एक महत्वपूर्ण उपहार दिया है😜

पंक्तियां कुछ इस प्रकार हैं,

मुर्गा बेचैन बाटे,
मुर्गी के खोजत बाटे,
कब हीं से करा बाटे,
कु कू हो कु कू हो कु कू
की केने गईलस रे मुरूगिया
कु कू हो कु कू हो कु कू,
कभो अगुति कभो पिछुती
चक्कर काटे फुलवारी के
जे भी...