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विराट पुरुष 'ब्रह्म'
ब्रह्म आदि है, अनंत है, सर्व शक्तिमान है।
ब्रह्म गुण से परे है मतलब निर्गुण, निराकार किंतु ब्रह्म सभी गुणों को ग्रहण भी करते हैं।
ब्रह्म सुप्रीम गॉड हैं।

ब्रह्म में विकार उत्पन्न हुआ तब ब्रह्म को एक से अनेक होने की इच्छा हुई तो उन्होंने अपने एक चौथाई भाग से सृष्टि की कल्पना की।
अपनी कल्पना के अनुसार सृष्टि में सर्वप्रथम महतत्त्व प्रकट हुए। जब महतत्त्व में विकार उत्पन्न हुआ तो अहंकार तत्व पैदा हुआ।
अहंकार तत्व के गुण के रूप में बुद्धि और #मन का जन्म हुआ। अहंकार तत्व से ही आकाश तत्व की उत्पत्ति हुई।
आकाश के गुण के रूप में शब्द प्रकट हुई और विकार के रूप में वायु।
वायु के...