हंसना :खुशी की निशानी नहीं
हंसना मेरे खुश होने का प्रमाण नहीं है। यह उस नकाब की तरह है, जिसे मैं ओढ़ लेता हूं जब भीतर का दर्द मेरे चारों ओर इस कदर घिर आता है कि उसे सहना असंभव हो जाता है। मैं हंसता हूं—कभी खुद पर, कभी अपनी किस्मत पर। हंसी मेरे लिए यथार्थ से पलायन का साधन है। जब मन का आकाश दुख के बादलों से ढक जाता है, तब आंसू बहाना एक विकल्प हो सकता है, लेकिन मेरे दुख इतने गहरे हैं कि अगर उन्हें आंसुओं में बहा दूं, तो शायद पूरी दुनिया मेरे साथ डूब जाए। इसलिए, मैं हंसी का एक सूरज उधार लेकर उन घने बादलों पर...