एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में एक दास्तान।।
जैसे ही शाम हुई मैं उनके घर पहुंच गाई जैसे ही
मैंने दरवाजा खटखटाया तो मेरे मालिक ने दरवाजा खोला और मुझे अन्दर आने को कहा !
मैंने दरवाजा के बाहर से ही देख लिया था ३-४लोग बैठ कर शराब पी रहे थे ! मुझे किसी अनहोनी होने का संदेह जरूर ज्ञात हो रहा था,
परन्तु रूपए की जरूरत होने के कारण मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था! इस लिए मैं घर के भीतर आ गयी! शराब पी रहे मर्दों में एक बोला यार राकेश इस हसीना की ही बात कर रहा था ना तू! राकेश ने किसी राछस की हंसते हुए हां में जवाब दिया और अन्दर से कुंडी बंद कर दी! मैं समझ चुकी थी कि आज मैं अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी मुसीबत में फस चुकी हूं । मैंने मालिक से हाथ जोड़कर निवेदन करते हुए कहा कि मुझे पैसे दे दीजिए मुझे घर वापिस जाना है।
#दुषकर्म।
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मैंने दरवाजा खटखटाया तो मेरे मालिक ने दरवाजा खोला और मुझे अन्दर आने को कहा !
मैंने दरवाजा के बाहर से ही देख लिया था ३-४लोग बैठ कर शराब पी रहे थे ! मुझे किसी अनहोनी होने का संदेह जरूर ज्ञात हो रहा था,
परन्तु रूपए की जरूरत होने के कारण मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था! इस लिए मैं घर के भीतर आ गयी! शराब पी रहे मर्दों में एक बोला यार राकेश इस हसीना की ही बात कर रहा था ना तू! राकेश ने किसी राछस की हंसते हुए हां में जवाब दिया और अन्दर से कुंडी बंद कर दी! मैं समझ चुकी थी कि आज मैं अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी मुसीबत में फस चुकी हूं । मैंने मालिक से हाथ जोड़कर निवेदन करते हुए कहा कि मुझे पैसे दे दीजिए मुझे घर वापिस जाना है।
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