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" ऊर्जा "
" ऊर्जा "

जब आपने खुद को खोया महसूस करते हैं..!
जब अपनी दिव्यता के प्रति जागृत नहीं हुए,
जब आप अपने उच्च स्वत: को अनदेखा करते हैं..!
जब आप अपनी सादगी का दावा करते हैं..!

जब आप अपने सपनों पर अपनी आँखें बंद करते हैं..!
जब आप दिखावे के लिए अपनी आत्मा का बलिदान कर देते हैं..!
जब आप दूसरों को अपनी पुण्य शक्तियों अथवा ऊर्जा को जाने अनजाने ही देते हैं..!
वह चाहे भावनात्मक रूप से हो अथवा संगति से हो..!

तो यह जान लो कि आपके अंदर बसी हुई ऊर्जा वह चाहे सकारात्मक अथवा नकारात्मक हो वह सामने वाले व्यक्ति विशेष में समाहित हो जाता है..!
ठीक उसी तरह सामने वाले व्यक्ति विशेष की ऊर्जा भी आपके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं..!
यही वजह है कि हमारे भारत में किसी से भी हाथ मिलाने का चलन आदि काल से ही हमारी संस्कृति में वर्जित है..!

आपकी सकारात्मक ऊर्जा से सामने वाला व्यक्ति लाभान्वित होने लगता है जैसे कि वह खुशी से भरपूर हो गया और उसकी बदकिस्मती का दौर खत्म हो कर खुशकिस्मती का सफ़र शुरू हो जाता है..!

आपको यह बात भी समझना चाहिए कि यदि वह व्यक्ति जो आपसे लाभान्वित हो रहा है वह इस बात से धीरे-धीरे परिचित हो जाता है कि वह आपकी संगत में आने अथवा जुड़ने के पश्चात उसके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर हो गया है..!

वैसे ही उस व्यक्ति में जो नकारात्मक ऊर्जा कूट-कूट कर भरी है और उसमें सकारात्मक ऊर्जा रत्ती भर भी नहीं है वह आपके जीवन को प्रभावित करने लगेगा और आप खुद से क्षीण हो सकते हैं फिर चाहे वह शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह से आप खतरे में पड़ जाते हैं..!
शारीरिक रूप से ज्यादा खतरा होता है जब आप किसी के साथ हमबिस्तर होते हैं..!

आपको अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा को हमेशा ऊर्जावान बनाए रखने के लिए ईश्वर के समीप जाकर खुद को संरक्षित करने की अत्यंत आवश्यकता है, जिस से आप नकारात्मक असर से खुद को सुरक्षित रख सकें एवं नकारात्मक ऊर्जा को समय से पहले ही भांप सकें..!

आपने बहुत बार यह सुना होगा कि फलाना व्यक्ति की शादी के बाद से उसकी किस्मत में चार चाँद लग गए और यह भी सुना होगा कि कोई बर्बाद हो गया..!

अब बात उनकी जो हर दिन एक नए जिस्म की तलबगार होते हैं..!
जब ऐसे लोगों के साथ भी यही सब नकारात्मक असर पड़ने लगता है क्योंकि वह खुद ही नकारात्मक प्रभाव में होते हैं और नकारात्मक ऊर्जा को ही आंमत्रित करते हैं..!

कितनों को अर्श से फ़र्श पर धूल चाटते हुए देखा है..!
कई लोगों को सुखमय जीवन नर्क बन जाता है..!
कई अपनी मानसिक रूप से तनावग्रस्त हो जाते और संतुलन भी खो देते हैं..!
यदि आप अपने मन मस्तिष्क में ठान लें कि शुद्ध विचारों के साथ जीवन बिताने की भरसक प्रयास करेंगे तो आपको ब्रह्मांड की मदद हमेशा मिलेगी..!

आप इस तरह से ईश्वर के समीप रहकर अपने आपको शुद्ध रख सकेंगे और उनका सानिध्य प्राप्त कर सकते हैं..!

यह वो समय होगा कि आपका नया जन्म और नवजोत आपकी आत्मा को आलौकिक कर देगा जिसे पुनर्जन्म अथवा ट्रांसफॉर्मेशन कहते हैं..!

🥀 teres@lways 🥀