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सफर अभी बाकी है।
2006 में शुरू हुआ यह सफर आज भी जारी है। बात है 2006 दिसंबर की जब राज को उसकी कंपनी का ऑफर लेटर मिलता है। पूरा परिवार खुश है और राज भी बहुत खुश है यह सोच के कि उसको दो महीने बाद हिंदुस्तान से बाहर जाना है। जो लड़का आज तक अपने शहर से बाहर नहीं गया था वह आज हिंदुस्तान से बाहर जाने की सोच रहा था। और यह सब मुमकिन हुआ था उस कंपनी के कारण जिसमें उसकी जॉब लगी थी। वह कंपनी उसे 1 महीने की ट्रेनिंग के लिए बाहर भेजने वाली थी। राज और उसका पूरा परिवार पूरे मन से उसकी...