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अपने कर्तव्यों का पालन करने में इतनी व्यस्त थी सरिता कि उनकी बेटियां कब बड़ी हो गई उन्हें पता भी नहीं चला।आंख तो तब भर आई जब उन्हें उनकी छोटी बेटी
की बिदाई करनी थी। दरअसल दो दिन बाद उनकी बेटी अमेरिका शिफ्ट हो रही थी।अब मेरा समय कैसे कटेगा
ये सोच कर उनकी आंखें छलछला आई....!!
जब से होश संभाला है तब सिर्फ और सिर्फ जिम्मेदारियां में ही उलझी रही अब जब फुर्सत मिल रही है तो मन कांप उठा हैं। अकेले रहने की आदत नहीं थी उन्हें ना ही कभी वो इस बारे मे ध्यान ही दिया...
की बिदाई करनी थी। दरअसल दो दिन बाद उनकी बेटी अमेरिका शिफ्ट हो रही थी।अब मेरा समय कैसे कटेगा
ये सोच कर उनकी आंखें छलछला आई....!!
जब से होश संभाला है तब सिर्फ और सिर्फ जिम्मेदारियां में ही उलझी रही अब जब फुर्सत मिल रही है तो मन कांप उठा हैं। अकेले रहने की आदत नहीं थी उन्हें ना ही कभी वो इस बारे मे ध्यान ही दिया...