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सोशल मीडिया आधुनिक जीवन का सहारा
अपने कर्तव्यों का पालन करने में इतनी व्यस्त थी सरिता कि उनकी बेटियां कब बड़ी हो गई उन्हें पता भी नहीं चला।आंख तो तब भर आई जब उन्हें उनकी छोटी बेटी
की बिदाई करनी थी। दरअसल दो दिन बाद उनकी बेटी अमेरिका शिफ्ट हो रही थी।अब मेरा समय कैसे कटेगा
ये सोच कर उनकी आंखें छलछला आई....!!
जब से होश संभाला है तब सिर्फ और सिर्फ जिम्मेदारियां में ही उलझी रही अब जब फुर्सत मिल रही है तो मन कांप उठा हैं। अकेले रहने की आदत नहीं थी उन्हें ना ही कभी वो इस बारे मे ध्यान ही दिया था। बच्चों के चले जाने के बाद घर से आफिस और आफिस से घर यहीं उनकी दिनचर्या बन कर रह गई थी। आफिस में उनका थोड़ा वक्त कट जाया करता था। मगर घर आते ही घर काटने को दौड़ता था। कुछ ही दिनों बाद सविता जी रिटायर हो गई।अब तो उनका एक एक पल मुश्किल हो गया। सुबह-शाम मंदिर जाती आती घर का सारा कामकाज करती पेपर पढ़ती थी। स्वयं को व्यस्त रखने की भरपूर कोशिश करती थी। मगर उनका मन लगता ही नहीं था।
एक दिन उनकी एक सहेली उनके घर आई। दोनों सहेलियों ने खूब बातें की महीनों बाद शायद वो खुल कर हंसी। जब उनकी सहेली वापस अपने घर जाने लगी तब
सविता जी उनके गले लग कर कहने लगी मत जाओ
आज मेरे पास ही रुक जाओ।उनकी बातें सुनकर उनकी सहेली सोच में पड़ गई और थोड़ी देर बाद कहा चल ठीक है।
आज हम दोनों खूब गप्पे मारेंगे.. और हंस पड़ी।
कुछ देर बाद उन्होंने अपने बेटे से वीडियो काल पे बातें की फीर फेसबुक पे किसी से मैसेज में बातें करने लगी।
ये सब देख कर सविता कहनें लगी ये तुम कैसे करती हों।
तब उनकी सहेली ने उन्हें सोशल मीडिया आधुनिक जीवन का सहारा हैं।के बारे में बताया आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में किसी के लिए किसी के पास फुर्सत नहीं है। ऐसे में सोशल मीडिया ही टाइम पास का एक जरिया है। पहले मैं भी तुम्हारी ही परेशान रहा करती थीं। मगर फिर मैंने अपना समय सोशल मीडिया पे ज्यादा बीताने लगी। जिससे मेरा समय भी कट जाता है और मैं बोर भी नहीं होती। सविता ने बड़ी उत्सुकता के साथ पुछा क्या तुम मुझे भी ये सीखा दोगी...??अरे हा हा बिलकुल
और फिर दोनों सहेलियां साथ और पकौड़े के साथ
करने लगी सोशल मीडिया की बात...!!
किरण