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"एक घरौंदा " मेरे आशियाने में .....
बात अभी कुछ ही दिनों पहले की है
जब हमारे नए घर के भवन निर्माण का कार्य चल रहा था
तो अक्सर हम लोग construction site पर आते जाते रहते थे।
अचानक एक दिन हमारी नज़र सीढ़ियों के नीचे बने एक shelf पर पहुंच गई
वहां का मनमोहक दृश्य देख हमारा मन अत्यंत प्रफुल्लित हो उठा
और नज़दीक जाकर देखने के लिए लालायित हो गया
हमने बिना इक पल की देरी किए अपने कदम आगे बढ़ा दिए
और फिर वहां जाकर देखा कि shelf पर एक छोटा सा घोंसला बना हुआ है
जिसमें एक चिड़िया बैठी हुई थी

यूं तो हम उसके काफी नज़दीक पहुंच गए थे लेकिन फिर भी वो वहां से हटने का नाम नहीं ले रही थी

यह देख मुझे थोड़ा आशचर्य हुआ कि इसकी वजह क्या है ??

आखिर उत्तसुकतावस मैने अपने पति से पूंछ ही लिया कि ये आखिर ऐसा क्यों कर रही है ??तो मेरे पतिदेव ने मुस्कुराते हुए कहा
अरे आप एक मां होकर भी इतना नहीं समझ पाई
ये भी आपकी तरह एक मां है 💚
जो अपने अंडों की रक्षा कर रही है जो कुछ ही दिनों में अंडों से बाहर निकलने वाले हैं। ये सुनकर मैं मुस्कुरा दी और फिर
कुछ देर वहां रुकने के पश्चात हम घर वापस आ गए
जब चार दिन बाद हम दोबारा वहां गए तो हमने देखा कि घोंसले में तीन छोटे छोटे चिड़िया के बच्चे बैठे हुए हैं
जिन्होंने अभी तक अपनी आंखे भी नहीं खोली थी
जैसे ही हम थोड़ा नजदीक पहुंचे
हमारी आहट सुन कर सभी ने अपना मुंह खोल दिया और ची ची की आवाज करने लगे उन्हें शायद यह लगा होगा कि उनकी मां
उनके लिए खाना लेकर आई है !
पर अफ़सोस
वो अभी तक पहुंची नहीं थी
पर जैसे ही उन नन्हें परिंदों को यह एहसास हुआ कि ये उनकी मां नहीं बल्कि कोई और है

तो वे सब झटपट दुबक कर बैठ गए सायद वो समझ गए थे कि कोई खतरा है ?

उनका इस तरह अपना बचाव करते देख
हमारा मन थोड़ा भाउक हो उठा

और फिर हमारे मन में मां और बच्चों का वात्सल्य देखने की प्रगाढ़ इच्छा प्रगट हो गई इस लिए हम वहीं पर छुप कर खड़े हो गए

फिर कुछ ही समय बाद चिड़िया अपने बच्चों के लिए खाना लेकर आ गई
जैसे ही वह घोंसले के पास पहुंची सभी बच्चे ची ची की आवाज करने लगे
और सभी ने अपना मुंह खोल दिया फिर
चिड़िया ने सभी को बारी बारी से खाना खिलाया
और साथ ही वो भी चू चू कर के कुछ बोल रही थी मुझे तो ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो वो अपने बच्चों को कुछ समझा रही है .....कि आप सब अपना खयाल रखना मैं अभी फिर से खाना ले कर आती हूं !!😊

सच में एक बेजुबान परिंदे का अपने बच्चों के प्रति ऐसा वात्सल्य देख मेरी आंखे भर आई🥺

ये सिलसिला कई दिनों तक यूं ही चलता रहा
अब मेरा भी मानो उन से एक रिश्ता सा जुड़ सा गया था
उनको देखे बिना मुझे चैन नहीं पड़ता
इस लिए अब मैं वहां प्रतिदिन जाने लगी थी उनके इस क्रिया कलाप को देख
मुझे एक अलग ही आनंद की अनुभूति
होती थी 🥰


अगले दिन सुबह जब मैं फिर वहां पहुंची
तो देखा कि घोंसला खाली था
मैं किसी अप्रिय घटना के घटित होने की आशंका से सन्न रह गई 😱😱
मेरे तो मानो पैरों के नीचे की ज़मीन ही खिसक गई हो

मेरी बेचैन निगाहें कुछ देर इधर उधर भटकती रहीं और उन्हें खोजती रहीं
पर अफ़सोस ना ही मुझे चिड़िया नज़र आई और ना ही उसके बच्चे 🙁

मैं निराशा होकर वहीं बैठ गई
मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था
मानो कोई अपना मुझसे बिछड़ गया हो 😥

लगभग दस मिनट मुझे वहां बैठे हो चुके थे
मैं एकदम शान्त और उदास थी

तभी अचानक third floor पे मुझे
हल्की सी चू चू की आवाज सुनाई दी
मैं दौड़ कर वहां पर पहुंची
तो देखा कि चिड़िया अपने बच्चों को उड़ना सिखा रही थी 😊

सभी को सही सलामत देख
मेरे मन को थोड़ी संतुष्टि मिली
और एकाएक मेरे आंसू छलक पड़े
जो कि ....
उन नन्हें परिंदों के लिए शायद मेरा स्नेह था
🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰

धीरे धीरे बच्चे अब बड़े हो चुके थे
उनकी ट्रेनिग भी पूरी हो गई थी
वो अब उड़ना सीख चुके थे
और दिन ऐसा भी आया जब वे
अपने घरौदे को छोड़ खुले आसमान की सैर करने के लिए निकल गए !!

इस बार मुझे थोड़ा दुख जरूर हुआ
पर मैं अब समझ चुकी थी कि
उनकी असली जगह अब इस घरौंदे में नहीं है बल्कि उन्मुक्त गगन ही उनका संसार है 😊

सच में कभी कभी एक बेजुबान परिंदा भी हमें प्रेम और स्नेह का ऐसा पाठ पढ़ा जाता है जो हम मनुष्य होकर भी नहीं पढ़ पाते 🙏🙏




© Rekha pal