...

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मास्टरमाइंड (भाग 4)
अगली सुबह....

काव्या: बताओ कहाँ गई थी रिया..?
राज: जहांगीरपुरी के क्लासिक बीच।
काव्या: क्लासिक बीच.. पर वो तो मुझे उससे आगे काफी दूर पर दिखी थी.. हमें उन जगहों पर जाना होगा...
राज: पर उससे पहले हमें आर्यन से मिलना चाहिए।
काव्या: हां... चलो।
राज: मैं भी??
काव्या: यहां कोई और भी है?
राज: मतलब मेरी असिस्टेंट की नौकरी पक्की??
काव्या: पर सैलरी नहीं मिलेगी..
राज: सैलरी किसको चाहिए..
काव्या: मुझे समझ नहीं आता तुम्हें अच्छी खासी नौकरी मिल सकती है आखिर तुम इतने बुद्धिमान हैकर हो फिर तुम्हें डिटेक्टिव की नौकरी क्यों चाहिए?
राज: क्योंकी डिटेक्टिव बनना मेरा बचपन का ख्वाब है...
काव्या: तो और कोई एजेंसी क्यों नहीं ज्वाइन कर लेते... मेरी ही क्यों?? मेरे यहां तो...
राज: किसी और एजेंसी में इतने सुंदर बॉस थोड़े न होगी...
काव्या: दोबारा शुरू मत हो जाओ... कैब बुलाओ।
राज: ठीक है...

काव्या और राज आर्यन से मिलने निकलते हैं, आर्यन अपनी मासी के घर में छुपा होता है। थोड़ी देर में वे दोनों आर्यन के मासी के घर पहुंच जाते हैं, उनको देखने के बाद आर्यन वहां से भागने लगता है.... पर राज उसे पकड़ लेता है...

आर्यन: मेरी बजह से रिया ने फांसी नहीं लगाई... मेरा उसकी मौत से कोई लेना देना नहीं है..
राज: फिर तुम भाग क्यों रहे थे?
आर्यन: क्योंकि कल वो मुझसे ही मिलने आई थी.. और उसके बाद.... सबको यही लगेगा कि उसने मेरी बजह से ही फांसी लगाई होगी..
काव्या: कल तुम्हारे और रिया के बीच में क्या हुआ था?
आर्यन: कुछ नहीं हुआ था... और होगा भी कैसे मैं उससे मिलने ही नहीं गया था... कल मेरे दोस्त का एक्सीडेंट हो गया था इसलिए मैं रिया से मिलने नहीं जा पाया।
काव्या: तुम्हारी आखिरी बार रिया से बात कब हुई थी?
आर्यन: 8.30 बजे।

पुछताछ करने के बाद काव्या और राज वहां से चले जाते हैं... रास्ते में...

राज: तुम्हें क्या लगता है? आर्यन ने..
काव्या: नहीं... उसने कहा कि "मेरी बजह से रिया ने फांसी नहीं लगाई..." अगर उसने खून किया होता तो कहता.. उसने खून नहीं किया है .....
राज: प्वाइंट !! फ़िर...
काव्या: क्लासिक बीच चलते हैं...

काव्य और राज जांच पड़ताल के लिए जहांगीरपुरी के लिए निकलते हैं.... रास्ते में काव्या को उसकी मां का फोन आता है

काव्या: हां मां...
सीता: कैसी हो?
काव्या: ठीक हुं। आप बताइए? और पापा?
सीता: तुम्हारे पापा तो जहांगीरपुरी गए हैं।
काव्या : जहांगीरपुरी?? क्यों?
सीता: तुम भूल गई... जहांगीरपुरी के क्लासिक बीच के पास ही तो हमला हुआ था...
काव्या: क्लासिक बीच... रिया भी क्लासिक बीच ही गई थी....
सीता: तुम क्या कह रही हो...?
काव्या: कुछ नहीं... मां मैं आपसे बाद में बात करती हूं... ठीक है बाय बाय।
राज: क्या हुआ? तुमने जहांगीरपुरी और क्लासिक बीच का नाम क्यों लिया?
काव्या: जिस रात रिया का मर्डर हुआ था उसी रात क्लासिक बीच के पास एक सुनसान इलाके में पुलिस की वैन पर हमला हुआ था..

काव्या राज को सब कुछ बताती है...

राज: कहीं रिया का उससे...
काव्या: बिना सबूत के कुछ कहा नहीं जा सकता...

काव्या और राज जहांगीरपुरी पहुंचने के बाद क्लासिक बीच और उसके आस-पास पुछताछ करते हैं। क्लासिक बीच के पास एक आइसक्रीम वाला उन्हें बताता है कि रिया ने उसकी दुकान से 11 बजे के आस-पास आइसक्रीम खरीदी थी और उसके बाद वह गाड़ियों की हड़ताल की बजह से पैदल ही निकल गई।

काव्या: रिया ने अपनी माँ पिता से 9 बजे कहा कि वो घर के लिए निकल रही है तो फिर वो 11 बजे तक क्लासिक बीच के पास ही क्या कर रही थी??
राज: और तुमने कहा कि तुमने उसे 1.30 के आस-पास देखा था। पर क्लासिक बीच से वहां की दुरी 45 मिनट की है... तो उसे 2.30 घंटे क्यों लग गए??
काव्या: पुलिस वैन पर हमला 12 बजे के आसपास हुआ था... और क्लासिक बीच वहां की दूरी... 30 मिनट की है...

काव्या और राज एक निष्कर्ष निकालते हैं कि रिया 11 बजे क्लासिक बीच से निकली होगी और 11.30 बजे या 11.45 बजे तक हमले वाली जगह पहुंची होगी और उसने हमला होते हुए देखा होगा और किसी ने उसे देखते हुए देख लिया होगा इसलिए उसे मारने के लिए उसका पिछा करना शुरू कर दिया होगा.... और वो बचने के लिए भागने लगी होगी...

पर ये सब बस उनकी मनगढंत कहानी थी... बस एक कल्पना मात्र जिसका उनके पास कोई सबूत नहीं था।


To Be Continued...
#mastermind
© Sankranti chauhan