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ये गरीबी है जनाब ............
ये गरीबी है जनाब
जो बच्चों को भी रुलाती है और बड़ों को भी .....

आज मैं ट्रेन से सफर कर रहा था , गर्मी बहुत थी , सब पसीने से परेशान थे
ट्रेन अगले स्टेशन पर रुकी , ,
सीलपर कोच में एक महिला अपने दो बच्चों के साथ चढ़ती है , एक बच्चा लगभग दो वर्ष का होगा , तथा दूसरा बचा गोद में था ।

देख कर लग रहा था कि वे आर्थिक रूप से कमजोर थे , महिला को बैठने के लिए सीट मिल गई ,
लेकिन बड़ा बच्चा ट्रेन के फर्स पर बैठ कर रोने लगा शायद वह कुछ खाने को मांग रहा था ,
महिला अपनी मजबूरी से लाचार थी , और बच्चे को चुप कराने की कोशिश कर रही थी, लेकिन बच्चा रोता रहा ,
महिला दूसरे बच्चे को दूध पिलाने लगी और उस रोते बच्चे से अपना ध्यान हटा लिया , ध्यान तो नहीं हटाया होगा शायद दिखावा कर रही हो क्योंकि वो एक मां थी , बेटे का दर्द मां से ज्यादा कौन समझ सकता है ।
लेकिन बेबसी सब को लाचार बना देती है ।

बच्चा मां का आंचल पकड़ कर रोता रहा , वह दृश्य इतना करुणा भरा था कि मुझे सोचने को मजबूर कर दिया ............. , रोते रोते बच्चे को नींद आने लगी ,
और वह मां के आंचल को पकड़ कर सो गया ,

देख कर मन में एक सवाल उठा कि
ये गरीबी है मेरे दोस्त ये बच्चों के साथ बड़ों को भी रुलाती है..........




© @herry