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तेरी मेरी कहानी -slot 2
उनका मेरे घर आना ,लगा धड़कनें अब बंद हुई की तब। मैं उनके सामने जाने से पहले घबराई फिर बातें होने लगी। बीच-बीच में ऐसा कुछ कह जाते कि हम सब हंसते हंसते लोटपोट होते ।तभी मेरी नज़र उनपर गई वो बस एकटक मुझे ही देख रहे थे।फिर उन्हें घर से जाते हुए देखना बेहद दर्द भरा रहा मेरे लिए।
तभी उनका मैसेज आया ,देखी कि उन्होंने एक गीत भेजा है-----मैं ये सोचकर उसके दर से उठा था कि वो रोक लेगी मना लेगी मुझको.....पता नहीं कितने बार मै सुनी और आंसू बहाई।
दूसरे दिन मुझे पता चला कि एक मित्र के घर हम सब रात के भोजन में एक दूसरे से मिलने वाले हैं ।अब मैं सोचने लगी कि अंधा क्या मांगे दो आंख…...और बस उसदिन फिर मिलना हुआ हमारा।खाने के बाद बातों हीं बातों में कुछ लोग कहने लगे क्यों न गाना बजाना हो जाए,तो सबसे पहले वो मेरी तरफ देखे और मुस्कुराते हुए गाने लगे, नज़र मुझसे मिलाती हो तो तुम शरमा सी जाती हो इसी को प्यार कहते हैं ,इसी को प्यार कहते हैं ...(Ahmed Hussain) वो अनुभव वो समय मानों जुगनूओं ने घेर लिया है मुझे। उस दिन ये लगा आपका हृदय किसी भी उम्र में पुल्कित हो सकता है।बस ऐसा प्यार जताने वाला कोई हो।हमारा मिलना फिर हो न हो पर जो एहसास हुआ वो ता उम्र के लिए दिल में बस चुका था .......।।