थाम
जब देखा कुछ नहीं सामने हैं
हर और से धुंधला सा छाया प्रति होता
पता ही नहीं था कि अपना कोन पराया कोन था
आज कुछ ऐसी विचत्र प्रस्तिति में आ गया हो
जहा सभी का साथ मिल पाए
जताया था उम्मीद
पर सचाई कुछ और ही मंजर देख
थोडा सा ज्यादा परेशान चिल्ला उठी देखी यह हाल अपना हाथ...
हर और से धुंधला सा छाया प्रति होता
पता ही नहीं था कि अपना कोन पराया कोन था
आज कुछ ऐसी विचत्र प्रस्तिति में आ गया हो
जहा सभी का साथ मिल पाए
जताया था उम्मीद
पर सचाई कुछ और ही मंजर देख
थोडा सा ज्यादा परेशान चिल्ला उठी देखी यह हाल अपना हाथ...