...

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दास्तां ए ज़िंदगी 😊
लिखता हूं नाम कई बार और कई बार निहार लेता हूं
भरकर ख्यालों में अपने फिर काग़ज़ पर उतार लेता हूं...।
एक फ़रिश्ते ने आकर मेरी ज़िंदगी मेहरबान कर दी
इबादत से उनकी मैं अपने मुकद्दर को भी संवार लेता हूं...।
कहते हैं कि कमबख्त ज़िंदगी बहुत बड़ी...